ईसीएल मजदूरों द्वारा तीन सूत्री माँगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना।
मुगमा । ईसीएल मुगमा क्षेत्र की मंडमन कोलियरी के मजदूरों ने तीन सूत्री मांग को लेकर संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सोमवार से ईसीएल मुगमा क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार के समीप अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गये। धरना का समर्थन देने झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सह झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव शशांक शेखर भोक्ता भी पहुंचे। मजदूरों की मांगों में कोलियरी के भूमिगत खदान को बंद करने की रची जा रही साजिश को बंद करने, मजदूरों का स्थानांतरण नहीं करने और नई भूमिगत खदान खोलने की मांगें शामिल है।
धरना को संबोधित करते हुए भोक्ता ने कहा कि वर्तमान सरकार निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए कोल इंडिया को ओसीपी के माध्यम से निजीकरण करना चाह रही है। निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूमिगत खदान से बेहतर कोयला प्राप्त होता है, लेकिन ओसीपी बनने से कोयले में पत्थर की मात्रा अधिक होती है। इससे पता चलता है कि कोल अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंडमन कोलियरी को बंद करने की साजिश को नाकाम कर दिया जाएगा। 12 मार्च 2015 में ड्रिफ्ट चालू करने का आदेश दिया गया था ।लेकिन अधिकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि यदि मंडमन कोलियरी के भूमिगत खदान बंद किया गया तो परिणाम गंभीर होंगे। एसपी मांइस, राजमहल और मुगमा क्षेत्र का चक्का जाम कर दिया जाएगा। संसद से लेकर विधानसभा में भी सवाल उठाने की बात कही। धरना की अध्यक्षता रोबिन दा व संचालन शशि भूषण तिवारी ने किया।
धरना को सुरेशचंद्र झा, अशोक मंडल, उपेंद्र सिंह, आगम राम, काíतक दत्ता, लखी सोरेन, डीडी सिंह, रविकांत शर्मा, परितोष राय, प्रधान सोरेन, शशिनाथ तिवारी, नागेंद्र सिंह, दुर्गा दास, अनिल सिंह, मनोज सिंह, मलय बोस, यूएन पाठक, सुधांशु शेखर झा, विनोद सिंह, दिलीप कुमार, सरोवर पासवान, मेघनाथ भुइयां, मंगल बाउरी, अशोक बाउरी, बासुदेव मांझी आदि ने संबोधित किया।
प्रबंधन अपना रिपोर्ट का कर रही उल्लंघन- ईसीएल प्रबंधन ने 12 मार्च 2015 को आला अधिकारियों को रिपोर्ट दी थी कि मंडमन कोलियरी में ओसीपी चालाना संभव नहीं है। उसमें मुगमा क्षेत्र के आला अधिकारियों ने मंडमन कोलियरी में ड्रिफ्ट के माध्यम से कालीमाटी टाप सीम में 06 मीटर के दायरे में 04 लाख टन कोयला उत्पादन भूमिगत खदान से करने की बात कही थी।
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