जानिए शब-ए-बरात,क्यों की जाती है क्लिक करें और जाने।

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धनबाद। मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की पन्द्रहवी रात को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया जा रहा है। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है। शब का अर्थ है रात। वहीं बारात का अर्थ बरी होना होता है। मुसलमानों के लिए यह रात बहुत फजीलत (महिमा) की रात होती है। इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की अबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।इबादत, तिलावत और सखावत (दान-पुण्य) के इस त्योहार के लिए मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की जाएगी। रात में मनाए जाने वाले शब-ए-बरात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भीड़ का आलम रहेगा। पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। मालवा-निमाड़ में इस त्योहार पर तरह-तरह के स्वादिष्ट मिष्ठानों पर दिलाई जाने वाली फातेहा के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में धनबाद जिला के हर मस्जिद अल्लहा के घर को लाइट से सजाया जाता है साथ साथ धनबाद जिला के हर कबरिस्तान को भी लाइट और फूलों से सजाया जाता है और जिनके परिवार इंतकाल कर गए है उनके कब्र पर जा कर फातिया पढ़ कर जो इस दुनिया मे नही रहे उनके लिए अल्लाह से दुआ की जाती है….!

अरब में यह लयलातुल बराह या लयलातून निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। जबकि, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफगानिस्तान और नेपाल में शब-ए-बारात के नाम से जाना जाता है।

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