पेंशन वा बैसाखी के लिए रेंगती रही बुढ़िया,प्रशासन ने नही ली सुध।
बाघमारा: श्रवण अपनी दिव्यांग बूढ़ी दादी के साथ उन्हें पेंशन व वैशाखी दिलाने को दिनभर प्रखंड कार्यालय में भटकता रहा लेकिन लचर सिस्टम ने उसकी सुध नहीं ली। 9 साल के पोते श्रवण को लेकर कुर्सी के सहारे दिव्यांग महिला घंटों कार्यालय में रेंगती रही, मगर किसी हाकिम की नजरें इसपर नहीं पड़ी। यह वाक्या बाघमारा प्रखंड कार्यालय का है। सेनीडीह कांटा घर के समीप की रहने वाली कमला देवी पेंशन व वैशाखी के लिए गुहार लगाने पोते के साथ पहुंची थी। कमला देवी के पति बसंत साव की 20 वर्ष पहले मृत्यु के बाद से ही यह पेंशन के लिये प्रयासरत है, लेकिन अब तक इस विधवा की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। घंटों कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद वह मायूस हो घर चली गई। महिला की दास्तां भी काफी मार्मिक है। उसने बताया कि 20 साल पहले पति की मृत्यु बीमारी से हो गई थी। उसको सिर्फ एक बेटा ओमशंकर था। वही उसकी देखभाल करता था। दो वर्ष पूर्व बेटे की भी मृत्यु बीमारी के कारण हो गई। बेटे की उम्र 40 वर्ष थी। अब उसका सहारा नौ साल का पोता है। बेटे की मृत्यु से पहले घर में गिरने से उसकी कमर की हड्डी टूट गई थी, जो सही इलाज के अभाव में ठीक नहीं हो पाई। महिला के दोनों पैर में पट्टियां बंधी थी। बताया कि पति की मौत के बाद वह विधवा पेंशन के लिए काफी दौड़ी मगर कुछ हासिल नहीं हुआ। हड्डी टूटने के बाद कुछ लोगों ने कहा कि ब्लाक से दिव्यांग पेंशन तथा वैशाखी मिल जाएगी। इसी आशा में तीन महीने से प्रखंड कार्यालय आ रही है लेकिन उसको ना ही विधवा पेंशन नसीब हुआ और न ही वैशाखी। उसके पास अपनी जमीन है। मुखिया पीएम आवास योजना का लाभ दिलाने का भी आग्रह किया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।
प्रमुख ने दिया आश्वासन : प्रखंड कार्यालय में पेंशन व वैशाखी की गुहार लगाने आई दिव्यांग महिला पर कुछ मीडिया कर्मियों की नजर पड़ी। भीड़ जुटने के बाद चैंबर में बैठी प्रमुख मीनाक्षी रानी गुड़िया वहां पहुंची । प्रमुख ने महिला की समस्या जान उन्हें सरकारी सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
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