पढ़ने का शौक आज भी हैं पर मजबूरन पढ़ाई छोड़ काम करना पड़ा-राजू सरकार।
-युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।
नया बाजार(धनबाद)।राजू सरकार एक आम युवा,जो अन्य युवा की तरह ही हैं।पर,शायद राजू की कहानी उन हज़ारों युवाओं की आवाज़ है।जो राजू की तरह ही मजबूरी में पढ़ाई लिखाई छोड़कर काम करना पड़ रहा हैं।राजू बताते हैं कि उनके पिता स्व. गोरांगों सरकार लैब क्लिनिक में तकनीशियन का काम किया करते थे।उस समय राजू डीएवी हाई स्कूल पुराना बाज़ार में पढ़ता था।पर पिता के देहांत के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी और लैब क्लिनिक में इन्होंने भी तकनीशियन का काम शुरू कर दिया।
राजू परिवार में छोटे हैं।इनसे बड़ी तीन बहनें हैं।जिनकी ज़िम्मेदारी भी राजू के ऊपर ही हक़ीन।पारिवारिक ज़िम्मेदारी ने राजू को पढ़ाई से दूर कर दिया।आज भी पूछे जाने पर कहते हैं।मुझे पढ़ने का शौक आज भी हैं।पर,शायद अब समय नहीं।क्योंकि,मेरे जैसे कई युवा ऐसे हैं।जो मेरी ही तरह पढ़ने का शौक रखते हैं।पर नहीं कर पाते हैं।राजू बताते हैं,जब तक बढ़िया बढ़िया काम नहीं मिल जाता हैं।यही करते रहेंगे।सामाजिक कार्यों में इनकी रुचि हैं और बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लेते हैं।इनका कहना हैं कि यह अब काम मे ही खुशी हैं।पर न पढ़ पाने का मलाल ज़िन्दगी भर रहेगा।आज समाज मे राजू ही जैसे कई युवा हैं।जो पढ़ना तो चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते हैं।
-छायाकार संतोष कुमार यादव के साथ धनबाद से सरताज खान की रिपोर्ट।
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