मानव तस्करी 21वीं शताब्दी के भयावह अपराधों में से एक हैं-शंकर रवानी।
भारत में मानव तस्करी का बढ़ता स्वरूप – शंकर रवानी।
धनबाद,02,अगस्त, झारखण्ड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष शंकर रवानी ने कहा है कि मानव तस्करी 21 वी शताब्दी के सबसे भयावह अपराधों की श्रेणी का एक अपराध है जो पूरे विश्व पटल पर जाल की तरह फैल गया है । भारत के कई राज्यों में यह अपनी अंतिम पराकाष्ठा को पार किया है जिसमें तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक , पशिचम बंगाल , महाराष्ट्र ,झारखण्ड,आदि राज्य हैं । इन राज्यों में मानव तस्करी सर्वाधिक देखी जा रही है जहाँ लड़कियों / महिलाओं की खरीद फरोख्त कर रेड लाइट छेत्र में खरीद बिक्री की जा रही है ।श्री रवानी ने कहा कि सरकार की तमाम कोशिशों के बाबजूद भी मानव तस्करी में अप्रत्याशित वृद्धि दिखती जा रही है । राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो का यह मानना था कि महिलाओं के अपेक्षा लड़कियों की माँग अत्यधिक होती है । जो बच्चे गायब हो रहे हैं उनमें 70 % लड़कियां होती हैं एवं 30 % लड़के । लड़कियों के गायब होने का मुख्य कारण वेश्यावृत्ति है जो गिरोहों से अन्य राज्यों /महानगरों / वेश्यालयों में बेच दिये जाते हैं । लड़को से भिक्षा वृति / सस्ती मजदूरी करवाना मुख्य उद्देश्य है । श्री रवानी ने कहा कि मानव तस्करी पहले के वनिस्पत इन दिनों इसमे तेजी से दिख रही है । बच्चे भी लगातार गुम हो रहे हैं । भारत की लड़कियों की माँग खाड़ी देशों / विदेशों में अत्यधिक है । एजेंट वैसे बच्चों , लड़की का सौदा मुँह माँगी कीमत में करते हैं जिनके कौमार्य बची हुई है । मानव तस्करी आज समाज की गंभीर समस्याओं / त्रासदी के रूप में देखी जा रही है जहाँ शारीरिक शोषण व देह व्यापार से लेकर बंधुआ मजदूरी के लिये मानव तस्करी की जा रही है । भारत में 80 % जिस्मफरोशी के लिये यह कुकृत्य को अंजाम दी जा रही है । मानव तस्करी के शिकार अधिकांश बच्चे बेहद गरीब इलाकों / भारत के पूर्वी इलाकों के अंदरूनी गाँव की बचियाँ प्रयुक्त की जा रही हैं । अत्यधिक गरीबी / शिक्षा का व्यापक प्रचार प्रसार की कमी / सरकारी नीतियों का ठीक तरह से क्रियान्वयन का अभाव / स्थानीय एजेंटों की भूमिका प्रमुख होती है । ऐसे एजेंट गरीब , बेबस , लाचार , निरीह परिवार की कम उम्र की लड़कियों पर नजर रखकर उनके परिवारों को शहर के सब्जबाग / अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देते हैं । परिवार की सहमति लेकर बच्चीयों को घरेलू नौकर उपलब्ध करवाने वाले संस्थाओं को बेच देते हैं । आगे चलकर ये संस्थाएं और अधिक दामों में इन बच्चीयों को घरों में नौकर के रूप में बेचकर मुनाफा कमाते हैं । श्री रवानी ने कहा कि भारत में नयी देल्ही, मुम्बई , चेन्नई आदि महानगरों में घरेलू नौकर उपलब्ध करानेवाली लगभग 10,000 एजेंसिया मानव तस्करी के भरोसे चल रही है । इनके माध्यम से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चीयों को बेचा जाता है जहाँ उन्हें घरों में 16 घंटों तक काम करना पढ़ता है और रात में यौनाचार का भी शिकार होना पढ़ता है । मानव तस्करी की शिकार बचियाँ न सिर्फ घरेलू नौकर , बल्कि जिस्मफरोशी के जाल में ये बचियाँ फस जाती हैं और हर स्तर , हर तरह से इनका शोषण होने का क्रम जारी रहता है । शारीरिक यातना , मानसिक यातना एवं संवेगात्मक यातना । भारत की बच्चीयों की माँग पश्चिमी देशों में चरम पर है । उन्हें यहाँ के बच्चों के कौमार्य की कीमत मुँह मांगा मिलती है । आज के समय में ऑनलाइन पोर्न उधोगों में भी गायब बच्चों विशेषकर लड़कियों लड़को का उपयोग किया जा रहा है । इतने भयावह मामलों के बीच भिक्षा वृति तो वह अपराध है जो ऊपरी तौर पर दिखाई देता है , मगर ये सारे अपराध भी बच्चों से करवाये जा रहे हैं ,रवानी ने कहा कि 21 वी शताब्दी की सबसे जवलंत , संवेदनशील मुद्दा मानव तस्करी है । यह अधिक मुनाफे के धंधे की वजह से अत्यधिक पैसा कमाने की लालच ने ऐसे संगठित अपराधों में बढ़ोतरी की है ।उन्होंने आगे कहा कि झारखंड के पाकुड़ , साहेबगंज , खूंटी में मानव तस्करी का रूप भयावह देखी जाती है । झारखंड की आदिवासी लड़कियाँ देश के विभिन्न शहरों में घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही हैं । झारखंड के बच्चे को देल्ही , हरियाणा , मुम्बई , गोआ , चेन्नई , कर्नाटक बढ़ी मात्रा में ले जाया जा रहा है । मुख्य कारण ( Main Cause ) – गरीबी / गलत संगति / जागरूकता का अभाव / शिक्षा का अभाव /सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में कमी , मनोवैज्ञानिक कारण – मंद बुद्धि , भावात्मक असुरक्षित महशुश करना , पारिवारिक विघटन , संजुक्त परिवार व्यवस्था का विघटन , औधोगिकीकरण एवं नगरीकरण ।इनसे खात्मा करने के लिए क़ानूनी व्यपाक पहल की आवस्यकता है।
शंकर रवानी
अध्यक्ष
झारखण्ड ग्रामीण विकास ट्रस्ट, धनबाद।
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