मेरी गायिकी मेरी हुनर ही मेरी बनी पहचान,श्रेया घोषाल हैं मेरा आदर्श-नेहा।

युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।

बरमसिया,धनबाद।सितारों की खोज में सिंगिंग विनर रह चुकी नेहा कुमारी बरमसिया धनबाद की रहने वाली हैं।पिता विजय कुमार यादव प्राइवेट जॉब करते हैं।माता शर्मिला देवी हाउसवाइफ हैं।स्कूली पढ़ाई लिखाई धनबाद से ही हुई और कॉलेज की पढ़ाई भी धनबाद से ही की हैं।सिंगिंग का शौक बचपन से ही रहा हैं।चूँकि, इनके पिता स्टेज सिंगर रह चुके हैं।इस वजह से कही न कही पिता का शौक नेहा में भी आ गया।लेकिन,कुछ खास किस्सा हैं।जिसके वजह से म्यूजिक से थोड़ा ज़्यादा लगाव हुआ।उस समय 7वीं कक्षा में नेहा पढ़ती थी और छुट्टियों में फूआ के घर गयी हुई थी।ऐसे तो टीवी में दूसरे को गाते देख प्रभावित हुई ही हैं।पर फुआ के घर पर नेहा कुछ गीत गुनगुना रही थी।नेहा की फुआ को लगा कि नेहा में एक गायिका छिपी हुई हैं।इसे आगे बढ़ना चाहिए।

नेहा एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं।ऐसे में थोड़ा मुश्किल जरूर था।पर,नामुमकिन नहीं।माता पिता का सहयोग हमेशा ही रहा और छोड़ छोड़ कर साल भर तक म्यूजिक भी सीखी।सितारों की खोज एक मौका था।जिसमें कोशिश किये और सफल हुए।इसके अलावे हंगामा और मस्ती में भी विनर हुई।यह पटना में आयोजित किया गया था।इस तरह से क्षेत्रीय ओरतियोगिताओं में भाग लेते ही रहते हैं।श्रेया घोषाल को अपना आदर्श मानती हैं।आगे एक गायिका के रूप में ही अपना कैरियर बनाना चाहती हैं।नेहा का कहना हैं कि संगीत से जुड़ जाओ और मस्ती में गाओ।विभिन्न कार्यक्रम में भाग लेते रहो।घर वालों के सहयोग से सब कुछ सम्भव हैं।आज की पीढ़ी में कुछ भी करने का हुनर हैं और मेरी हुनर ही मेरी पहचान हैं।फुआ मम्मी पापा और दोस्तों का सहयोग रहा हैं।कुछ प्लानिंग नहीं की हैं।पर जो होगा अच्छा ही होगा और सोचा जायेगा।

फोटोग्राफर:-संतोष कुमार यादव

●रिपोर्टर:-सरताज खान

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