राजनीति समाज सेवा के लिए होनी चाहिए,न की धन अर्जित करने के लिए-महेंद्र महतो
● युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।
बाघमारा(धनबाद)।महेंद्र महतो सामाजिक व राजनीतिक जीवन काल सदैव जनता के हित के लिए हुआ हैं।चाहे कोई भी हो,ये पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष विचार प्रस्तुत करते हैं।बाघमारा प्रखंड के बागदाहा गांव के रहने वाले महेंद्र एक किसान परिवार से हैं।हाई स्कूल से ही सामाजिक कार्यों में सक्रियता रही हैं।उस समय भी इन्होंने एक 32 लड़को का एक समूह बनाया था।जो विभिन्न प्रकार से लोगों के लिए सहयोग का काम करती थी।जैसे अगर गांव में चोरियाँ हो रही थी।तो उस समय ये अपने युवा संगठन के माध्यम से पहरेदारी का काम किया करते थे।किसी के साथ कुछ गलत हुआ हो।तो ये आपने युवा संगठन के माध्यम से उसका विरोध किया करते थे।
हाई स्कूल के समय एक ऐसी ही घटना घटित हुई।उस दिन परीक्षा चल रही थी।महेंद्र का छोटा भाई उससे मिलने के लिए आया हुआ था।उसके सीधे वर्ग में प्रवेश करने के कारण शिक्षक ने महेंद्र के छोटे भाई को मार दिया।महेन्द्र ने इसका विरोध किया।परीक्षा को रोक,शिक्षक को माफी माँगने की माँग की गई।ऐसे ही घटनाओं और अपने कार्यों की वजह से महेंद्र काफी लोकप्रिय होने लगे।
जब हाई स्कूल पास हुए और कॉलेज में प्रवेश किये।तो इनके कार्यों से प्रभावित होकर आजसू पार्टी ने महेंद्र और इनके मित्र गिरधारी महतो को सदस्य के रूप में शामिल कर लिया।उस समय धनबाद में आजसू पार्टी कोई खास चर्चित नहीं था।न ही लोगों के बीच यह पार्टी लोकप्रिय थी।पर,महेन्द्र जैसे युवाओं की वजह से ही आजसू पार्टी आज अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।आज नवयुवक जोश के साथ पार्टी से जुड़ रहे हैं।झारखण्ड आंदोलन में भी इन्होंने अपना योगदान दिया।पर दुःखी इस बात से हैं कि जिस वजह से झारखंड आंदोलन किया गया था।उसका लाभ झारखण्ड की जनता आज नहीं ले पा रही हैं।
झारखण्ड अलग होने के बाद 15 जून 2000 को आजसू पार्टी का पहला जिला सम्मेलन तोपचांची में किया गया।इसमें वोटिंग के माध्यम से अध्यक्ष और सचिव का चुनाव किया गया।जिला अध्यक्ष के रूप में संतोष महतो और जिला सचिव के रूप में पप्पू मिर्ज़ा चुने गए।पर,दो से तीन महीने बाद पप्पू मिर्ज़ा की जगह महेंद्र महतो को जिला सचिव बनाया गया।पाँच वर्षों तक पद पर बने रहें।
2009 के विधानसभा चुनाव में झारखंड पीपुल्स पार्टी से आजसू पार्टी समर्थित उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ चुके हैं।पिता हरिप्रसाद महतो एक शिक्षक थे।लेकिन,दादा स्व. सर्वेश्वर महतो मुखिया थे और ये आजीवन मुखिया पद पर बने ही रहें।वर्तमान में महेंद्र न किसी पार्टी से जुड़े हुये हैं और न ही सक्रिय हैं।पर, राजनीति में वापसी जरूर करेंगे।इन्होंने अपने दादा के नाम से एक समिति बनाई हैं।वर्ष 2006 में सर्वेश्वर महतो जनजातीय कल्याण परिषद की स्थापना की।जिसके सचिव स्वयं महेंद्र महतो हैं।
राजनीति को अपने जीवन मे महेंद्र ने बहुत महत्व दिया हैं।राजनीति करने के लिए नौकरी नहीं की।पोस्ट ग्रेजुएट होने के बावजूद खेती-बाड़ी का ही काम करते हैं।लोगो मे जनजागरूकता का काम करते हैं।युवा पीढ़ी का राजनीति में आना एक अच्छा संकेत हैं।पर,राजनीति समाजसेवा के लिए होनी चाहिए।न कि धन कमाने का एक साधन होना चाहिए।पहले और आज की राजनीति में बहुत ही अंतर आ चुका हैं।पहले चुनाव में न ही ज़्यादा खर्च किया जाता था और न ही नेता खर्च करते थे।जनता के सहयोग से ही नेता चुनाव लड़ते थे।लेकिन,वर्तमान में नेता खर्च करते है।महेंद्र कहते हैं कि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं।इस वजह से उनमें जागरूकता की कमी हैं।हमारे देश का दुर्भाग्य हैं कि नेता अनपढ़ रहे तो भी चलेगा।परंतु चपरासी की नौकरी के लिए भी पढ़ा-लिखा होना जरूरी हैं।जिस दिन लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएंगे।उस दिन जनता अपने काम को स्वयं कर लेगी।किसी के पास मिन्नत या फरियाद लेकर नहीं जाएगी।
राजनीति से महेंद्र का जुड़ना सिर्फ इतना ही हैं कि वह अपनी बातों को लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं।लोगों को जागरूक कर समाजसेवा करना चाहते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में कई कमी हैं।सरकारी योजनाओं का लाभ उनके क्षेत्र में दिख नही रहा हैं।शौचालय,आँगन बाड़ी केंद्र,जन वितरण प्रणाली आदि सभी योजनाओं में गड़बड़ घोटाला हो ही रही हैं।सरकार कितनों भी प्रयास कर रही हैं।पर, फिर भी गड़बड़ घोटालों पर रोक लगा पाना मुश्किल हो रहा हैं।
महेंद्र का एक ही लक्ष्य हैं कि सभी को समान हक़ मिले।समाज मे कोई भेदभाव न रहें।खेल में भी इनकी रुचि रही हैं।हाई स्कूल स्तर पर खेल प्रतियोगिता में भाग भी लिया करते थे।फुटबॉल टीम के कैप्टन भी रह चुके हैं।साथ ही दौड़ में भी भाग लिया करते थे। बिनोद बिहारी महतो और कॉ. महेंद्र सिंह को अपना आदर्श मानते हैं।इनसे प्रभावित और प्रेरित होकर उन्ही की तरह समाज के लिए काम करना चाहते हैं।
★ रिपोर्टर:-सरताज खान
★छायाकार:-संतोष कु. यादव
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