रैंकर्स इंस्टिट्यूट धनबाद की शुरुआत हुई थी 10 स्टूडेंट्स से,आज 350 प्लस।।
★युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।
धनबाद।रैंकर्स इंस्टिट्यूट स्टीलगेट और रैंकर्स केमिस्ट्री क्लासेस बैंक मोड़ के कुमार सर धनबाद के छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।इसकी खास वजह हैं,उनके पढ़ाने का तरीका और स्टूडेंट्स के साथ एक गहरा लगाव का होना।शुरुआत में जब कुमार सर ने कोचिंग संस्थान की शुरुआत की थी,तो मात्र 10 स्टूडेंट्स थे।लेकिन,आज इनके दोनों ब्रांचेज को मिलाकर 350 से भी ज़्यादा स्टूडेंट्स हैं।जितने सरल स्वाभव के कुमार सर हैं।उतनी ही सहजता और ईमानदारी से अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं।आज इन्होंने समाज में एक शिक्षक के रूप में जो मुकाम पाया हैं।वह आसान नहीं रहा हैं।हर किसी को अपने स्तर से संघर्ष करना ही पड़ता हैं।चाहे कोई भी हो,बिना संघर्ष के इंसान अपनी मंज़िल को नहीं पाता हैं।
कुमार सर का जन्म धनबाद में ही हुआ और 8वीं तक की पढ़ाई इन्होंने धनबाद से ही की।पिता अमरकांत पाण्डेय प्राइवेट जॉब करते हैं और माँ सीता देवी पूर्ण रूप से गृहणी हैं।8वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटना चले गए और एमएससी तक की पढ़ाई उन्होंने साइंस कॉलेज पटना से की।फिर आईएएस की तैयारी में जुट गए।कई सालों तक कोशिश की।जब मन नहीं लगा तो छोड़ दी और टीचिंग लाइन को चुन लिए।क्योंकि,इनकी शुरू से सोच थी कि किसी एक ही चीज के लिए ज़्यादा समय व्यतीत करना मूर्खता हैं।अपने सामर्थ्य को जानो पहचानो और इच्छा के अनुसार मंज़िल की ओर बढ़ो।इसी सिद्धांत को लेकर कुमार सर एक शिक्षक के रूप में आगे बढ़ने की ठान ली।शुरुआत में दो सालों तक राजस्थान कोटा में पढ़ाया करते थे।वहाँ अच्छा खासा मासिक वेतन भी मिलता था।पर मन में अपने शहर के स्टूडेंट्स के लिए कुछ करना चाहते थे।इस वजह से राजस्थान से धनबाद चले आये और फिर चार साल पहले स्टीलगेट धनबाद अपना खुद का इंस्टिट्यूट रैंकर्स इंस्टिट्यूट के नाम से शुभारंभ किये।स्टीलगेट धनबाद शाखा में केमिस्ट्री,फिजिक्स,मैथ्स,बायोलॉजी की क्लासेस ली जाती हैं।फिर दो साल पहले बैंक मोड़ में रैंकर्स केमिस्ट्री क्लासेस का शुभारंभ किये।यहाँ सिर्फ केमिस्ट्री की क्लासेस ली जाती हैं।इनका एक ही लक्ष्य रहा हैं कि धनबाद से अधिक से अधिक डॉक्टर्स और इंजीनियर बनाये।इन्होंने कभी भी सिर्फ पैसे के लिए नहीं पढ़ाया।पैसे के लिए तो सभी पढ़ाते हैं,क्योंकि जीविका तो धन से ही चलती हैं।पर सिर्फ पैसे के लिए वही पढ़ाते हैं।जो सिर्फ कामना चाहते हैं।इनका ध्यान अधिकतर क्वालिटी एजुकेशन पर रहा हैं।इन्होंने कभी क्वांटिटी पर ध्यान दिया ही नहीं हैं।जब आईएएस की तैयारी छोड़ कर आये तो खुद पर भरोसा था।इस वजह से आज एक सफल शिक्षक बन पाए हैं।
रिजल्ट की अगर बात करें तो रैंकर्स से हर साल 12वीं और विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्टूडेंट्स का परफॉरमेंस बढ़िया ही रहा हैं।इतने स्टूडेंट्स होने के बावजूद इन्हें पढ़ाने में कोई परेशानी नहीं होती हैं।स्टूडेंट्स बस पढ़ते जाते हैं और कुमार सर पढ़ाते जाते हैं।धनबाद में कोचिंग का स्तर पहले से बहुत सुधर भी रहा हैं।इनकी एक इच्छा हैं कि ये अपना आखरी दिन भी क्लास में ही बिताना चाहते हैं।
आने वाले समय में धनबाद के स्टूडेंट्स क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करें।खुद से बेहतर करने का प्रयास करें और रटने वाले आदत को छोड़ कर कांसेप्ट को क्लियर करें।इनके यहाँ पढ़ने के लिए हर बोर्ड के स्टूडेंट्स ट्यूशन के लिए आते हैं।पर,झारखण्ड बोर्ड के स्टूडेंट्स थोड़े से वीक होते हैं।पर,इनमें सीखने की ललक होती हैं और ये काफी जुझारू भी होते हैं।धनबाद में पढ़ाते हुए 4 साल हो गए।फी की मामले में ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं।स्टूडेंट्स के आर्थिक स्तिथि के अनुसार फी लेते हैं।अगर कोई स्टूडेंट पढ़ने में इच्छुक हैं तो निःशुल्क भी पढ़ाते हैं।बस स्टूडेंट पढ़ाई करें और रिजल्ट बेहतर करें।
अभी तक 20 स्टूडेंट्स को निःशुल्क पढ़ा रहे हैं।अभी के माहौल में शिक्षक और स्टूडेंट के रिलेशन को लेकर भी उन्होंने अपना विचार दिया कि शिक्षक की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में होनी चाहिए।शिक्षक एक स्ट्रीट बोर्ड की तरह होता हैं।जो दूसरों को रास्ता दिखाकर खुद वहीं रह जाता हैं।स्टूडेंट और टीचर का सम्बंध एक मोटिवेटर और फ्रेंड की तरह होनी चाहिए।स्टूडेंट्स को दबाव देकर पढ़ाना नहीं चाहिए।
संगर्ष और परेशानी भी कई हुई।जब कोचिंग शुरू किए तो उसी समय पैर का ऑपेरशन हुआ था।जिसकी वजह से दो महीनों तक क्लास ऑफ रहा।उन्होंने सोचा स्टूडेंट्स चले गए होंगे।पर,जब कुमार सर ने फिर से पढ़ाना शुरू किया तो सभी स्टूडेंट्स वापस आ गए।सीढ़ी चढ़ने में भी दिक्कत होती थी।तो स्टूडेंट्स के कंधे पर हाथ रख कर सीढ़ी चढ़ते थे।बुरे वक्त में भी स्टूडेंट्स का बहुत सहयोग रहा।इस परिस्तिथि से गुजरे ही थे कि दादा जी का देहांत हो गया।इसमें भी 15 दिन क्लास ऑफ रहा।दो दिन बाद फिर दादी जी का भी देहान्त हो गया।इसमें में महीना भर पढ़ाई डिस्टर्ब रहा।लेकिन,स्टूडेंट्स फिर भी कही गए नहीं।।सभी वापस से क्लास शुरू किए।
कभी इनकी माँ एक समाजसेविका हुआ करती थी।बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया करती थी।इसी से प्रेरित होकर कुमार सर ने भी एक शिक्षक बनने की ठानी।कुमार से अपना आदर्श भी अपनी माँ को मानते हैं।इसके अलावे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इनके प्रेरणास्रोत रहें हैं।शिक्षक दिवस हो या कोई अन्य त्यौहार,अगर स्टूडेंट्स कोई उपहार देने का प्रयास करते हैं।तो इनका जवाब एक ही होता हैं कि आप बेहतर रिजल्ट दो।वही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।स्टूडेंट्स को उनका कहना हैं कि दबाव में न पढ़े।कांसेप्ट को क्लियर करें और रटने की आदत हटा दे।बचपन में गायिकी का भी शौक रहा हैं औऱ कविताएं भी लिखते हैं।
★रिपोर्टर:-सरताज खान
★छायाकार:-संतोष कुमार यादव
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He is the best teacher…..
Aap bahut ache teacher ha kumar sir me aapki hi follow karta hu
Actually you are the complete definition of chemistry…
My best teacher. ……
You are great sir… We all love uh sir…
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I love u sir
Kumar sir aapke jaisa koi nahi hai
U r really too good sir …….
Yes, Kumar sir is the best teacher of chemistry .
Love you sir.
You are my inspiration sir. ..