लोगों को राजनीति करनी चाहिए खुद के लिए नहीं समाज के लिए-रतिलाल महतो।

रतिलाल महतो वर्तमान में आजसू पार्टी के केंद्रीय सदस्य हैं।पर,इन्होंने आजसू पार्टी की सदस्यता तब ग्रहण की थी।जब आजसू एक पार्टी नहीं बल्कि एक उग्रवादी संगठन के रूप में विख्यात थी।मटकुरिया धनबाद में रतिलाल का जन्म हुआ।पिता सहदेव महतो रेलवे में कार्यरत थे।साथ परिवार में खेती बाड़ी भी होती हैं।आजसू पार्टी का गठन 1986 में हुआ।इसी साल बरटाँड़ निवासी स्व. मुकेश चौरसिया के माध्यम से संगठन में जुड़े।शुरुआत एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में किये।लेकिन,धनबाद में आजसू के विस्तार में रतिलाल का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा।उस समय धनबाद में आजसू को लोग ज़्यादा जानते नहीं थे।1989 के 72 घण्टों के झारखण्ड आंदोलन के दौरान धनबाद में भी इसका असर बहुत ही गम्भीर रहा।रतिलाल महतो ने अपने नेतृत्व में बैंक मोड़ थाना के पास एक बम विस्फोट किये थे।जिसकी ज़िम्मेदारी उन्होंने मीडिया व प्रशासन के सामने स्वयं पर ली।इसके अलावे अन्य कई सामाजिक कार्यो में भी इनका योगदान रहा हैं।बैंक मोड़ स्तिथ बिरसा चौक के लिए इन्होंने काफी प्रयास किया हैं।जिसका परिणाम आपके सामने हैं।संगठन से जुड़कर रतिलाल लगातार आजसू के विस्तार में सक्रिय रहे।1988 में प्रखंड अध्यक्ष के रूप में इन्होंने कार्यभार सँभाला।झारखण्ड अलग होने के तीन महीने पहले तक अध्यक्ष पद पर रहें।इतने लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बने रहने के बाद चुनाव में फिर जीत दर्ज कर अध्यक्ष बन गए।पर सुदेश महतो के कहने पर पड़ त्याग दिया और फिर संतोष कु. महतो अध्यक्ष बनाये गए।

झारखण्ड राज्य अलग होने बाद आजसू संगठन की गति बढ़ी।युवाओं का रुझान आजसू के प्रति बढ़ता गया।पार्टी में नए युवाओं को जगह दी गयी।रतिलाल महतो को कोई पद नहीं दिया गया।बीस सूत्रीय संगठन में नाम नहीं दिए जाने का विरोध भी किये।साथ ही कई फैसले के लिए सुदेश महतो का भी विरोध किये।इस तरह से आजसू पार्टी में रहते हुए एक अलग गुट बनाकर पार्टी के लिए काम करते रहें।इस तरह भास्कर ओझा और रतिलाल महतो को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।निष्कासन के पश्चात झारखण्ड पार्टी में शामिल हो गए।5 साल गुजरने के बाद

जब निष्कासन समय समाप्त हो गया।तो फिर से आजसू पार्टी से वापस जुड़ गए।अपने राजनीतिक जीवन मे इनके कई सहयोगी हुए।पर स्व. नजरुल हक़ और स्व. राजू दुबे रतिलाल महतो के खास दोस्त रहें हैं।किसी हादसे की वजह से आज दोनों से अलग हैं।पर उनकी कमी आज भी इन्हें महसूस होती हैं।राजनैतिक काल में ही नजरुल हक़ ज़िला सह सचिव और राजू दुबे नगर अध्यक्ष बनाये गए थे।इसके अलावे भी बिजनेसमैन से इन्हें सहयोग मिलता रहा हैं।जब कभी भी कोई सामाजिक आंदोलन किया जाता था।तो,लोगों का सहयोग मिलता रहा हैं।इस बीच इन्होंने कोडरमा प्रभारी के रूप में काम किया।गाँव-गाँव घूमकर पार्टी की मजबूती के लिए प्रयासरत रहें।कोडरमा के ग्रामीणों के बीच परिचय सभा कर लोगों को जोड़ने का काम किये।पुनः तोपचांची प्रखंड के प्रभारी भी रहें।ग्रामीण स्तर पर 48 गाँव में जन सभा की।सीएनटी एसपीटी के बारें में लोगों को जागरूक किया।जन सभा के माध्यम से 100 दिनों में 1 लाख कार्यकर्ता तैयार करने का लक्ष्य था।जिसे पूरा भी किया गया।आज आजसू पार्टी को गांव से शहर तक हर कोई जानता हैं।आज हर क्षेत्र से लोग जुड़े हुए हैं।भले ही आज कितनो युवा आ गए हो।पर रतिलाल महतो जैसे लोगों ने आजसू पार्टी को अपना जीवन देकर विस्तारित किया हैं।इनका मानना हैं कि संगठन में नए लोगों से ज़्यादा पुराने लोगों। को जगह देना उचित हैं।क्योंकि,एक समय देकर संगठन को खड़ा किया हैं।फिर उन्हें दरकिनार नहीं करना चाहिए।राजनीति के विषय मे इनका विचार हैं कि राजनीति हर किसी को करनी चाहिए।आम आदमी से लेकर नौजवान तक हर किसी को राजनीति में सहभागिता लेनी चाहिए।तभी समाज का विकास संभव हैं।

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