800 सालों से भी ज़्यादा पुराना हैं कतरास का माँ लिलोरी मंदिर।

कोयलांचल धनबाद के कतरास के आठ सौ वर्ष पुराने माँ लिलोरी मंदिर में कई रहस्य और इतिहास छिपे हैं.यह मंदिर कतरासगढ़ के राजा की कुल देवी का मंदिर हैं।जानकारी के अनुसार 800 से भी ज़्यादा वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के रीवा के राज घराने के वंशज से ताल्लुक रखने वाले कतरासगढ़ के राजा सुजन सिंह ने कतरास के इस जंगल में माता की प्रतिमा को स्थापित किया था. पुजारी काजल प्रामाणिक ने बताया हैं कि तब से लेकर आज तक पहली पूजा यहाँ के राज परिवार के सदस्य ही करते हैं. प्रतिदिन यहाँ पशु बली भी चढ़ती है. उसके बाद ही इस मंदिर में अन्य लोग पूजा पाठ करते हैं. राज परिवार के विशाल सिंह ने बताया हैं कि परिवार की 56 वी पीढ़ी आज भी अपनी परंपरा को निभा रही है. वहीं मंदिर से दर्जनों पुजारियों और आसपास के हजारों दुकानदारों का रोजगार जुड़ा है.इस मंदिर में देवी के दर्शन के लिए देश-विदेश से भी  भक्त आते हैं।माता के मंदिर की प्रसिद्धि का पता इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि यहाँ बिहार झारखंड, पं बंगाल और उड़ीसा के अलावे देश के दूसरे हिस्सों से भी श्रद्धालु पहुँच आते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहाँ जो भी अपनी मुरादे माता से मांगता है ।उसके लिए एक चुनरी में गाँठ बांध कर जाता है. फिर मुराद पूरी होने पर उसे खोलने जरूर आता है.

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