प्रतिदिन एक रुपया संसार परिवार के नाम,लक्ष्य है जन सेवा का काम-मेजर सिंह।
धनबाद।मेजर सिंह एक बिजनेसमैन होने के साथ-साथ समाजसेवी भी हैं।पंजाब में जन्म स्थान हुआ।वर्तमान में धनबाद में रहते हैं।पंजाब से धनबाद आने की वजह उस समय का माहौल था।वर्ष 1970 में धनबाद में आगमन हुआ।केंदुआ डीएवी से मैट्रिक और पीके राय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की।पिता स्व. प्यारे सिंह व्यवसाय किया करते थे।आपने पिता के साथ मेजर भी काम किया करते थे।वर्ष 1998 से 2004 तक काम करते रहें।पर,पिता की मौत सड़क दुर्घटना में वर्ष 2004 को होने के बाद उस व्यवसाय को छोड़ दिया।फिर,इन्होंने अपना खुद का काम शुरू किया।छः सालों तक यूँ ही काम करते रहें।कह सकते हैं कि एक तरह से संघर्ष जारी रहा।इस बीच स्व. मुकेश सिंह का बहुत ही सहयोग रहा।इनकी भी मौत एक सड़क दुर्घटना में हुई।जरूरतमंद लोगों को सहायता करना मन में बहुत पहले से रही हैं।खास कर असहाय बच्चों,महिलाओं व वृद्धों के लिए हमेशा जो सम्भव हो,करते ही हैं।वर्ष 2010 से ही दो चार मित्रों के सहयोग से समाजसेवा का काम शुरू किए।कोई भी गरीब परिवार आर्थिक,भौतिक व अन्य से लाचार की मदद स्वयं किया करते थे।साथ में अपना व्यवसाय भी करते रहें।इस तरह से कई साल बीत गए।फिर,कभी ऐसा लगा कि कोई संस्था बनाकर काम किया जाए।तो इसी वर्ष 2017 में अपने संगठन को संसार परिवार का नाम दिए।जो संगठन यूँ ही चला करता था।एक नाम मिलने से संस्था में न सिर्फ लोगों की संख्या बढ़ी।बल्कि,काम भी बढ़ता गया।वर्तमान में 300 से 400 लोगों की टीम हैं।जो संसार परिवार से जुड़कर सामाजिक कार्य कर रही हैं।संस्था का एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी हैं।जिस पर कॉल कर सहायता ली जा सकती हैं।
यह कोई सरकारी संस्था नहीं हैं और न ही कोई एनजीओ हैं।इस संस्था से जुड़े लोग अपनी पॉकेट मनी से फंडिंग कर काम करते हैं।शुरुआत में जब न कोई नाम था और न ही कोई बड़ा संगठन था।तो,इसमें मात्र दस लोग ही काम किया करते थे।फिर जैसे-जैसे समय बदला लोग भी बढ़ते गए।समाजसेवा के अतिरिक्त म्यूजिक और क्रिकेट में भी इनकी रुचि रही हैं।घर से कभी भी कोई दबाव नहीं रहा।पंजाबी परिवार होने की वजह से शुरू से ही सत्संग में जाया करते थे।पत्नी,माँ और भाई का हमेशा से ही साथ रहा हैं।मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानते हैं।उन्ही की तरह काम करने का प्रयास करते हैं।संस्था के काम से प्रभावित होकर हर रोज दो से पाँच लोग जुड़ रहे हैं।महीने के हर रविवार को इनकी टीम अलग अलग जगहों में काम करती हैं।पहले रविवार को संस्था ब्लाइंड स्कूल सरायढेला में अपनी सेवा देती हैं।जहाँ करीब 20 बच्चें हैं।दूसरे रविवार को मिशनरी ऑफ चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए संस्था सेवा देती हैं।यहाँ लगभग 25 बच्चें हैं।जो सभी 10 साल से छोटी हैं।इसके अलावे 140 कुष्ठ रोग मरीज भी हैं।तीसरे रविवार को हिन्दू मिशन के लिए सेवा देते हैं।जहाँ करीब 15 से 20 बच्चें हैं।चौथे रविवार निर्मला हॉस्पिटल के लिए सेवा देते हैं।जहाँ 140 कुष्ठ से पीड़ित मरीज व 250 बच्चियाँ हैं।इन सबके अलावे तोपचांची के एक मदरसे के लिए सेवा देते हैं।यहाँ 12 वर्ष से कम उम्र के लगभग 20 बच्चे हैं।टुंडी में आदिवासी क्षेत्र में भी संस्था भविष्य में शुरुआत करेगी।बरमसिया पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए भी संस्था ने गोद लिया हैं।कुम्हार की एक बेटी को भी संस्था द्वारा गोद लिया गया हैं।मेजर सिंह कहते हैं कि न ही किसी अवॉर्ड की उन्हें अभिलाषा हैं और न ही किसी तरह का स्वार्थ हैं।निःस्वार्थ भाव से जन सेवा करना हैं।लोग जब थैंक यू कहते हैं,तो वहीं सबसे बड़ा सम्मान हैं।आज के बदलते दौर में धर्म के कई पाखंडी भी हो गए।जो समाजसेवा के नाम पर जनता को भ्रमित कर रहें हैं।उनका मानना हैं कि प्रवचन कर्ता हम नहीं हैं।हमारा काम हैं लोगों से लोगों को मिलाना।हम एक एक तरह से लेबर वर्क कर रहें हैं।आज के युवा को लेकर उन्होंने कहा कि युवा आज भले ही सामाजिक कार्यों में कम भाग ले रहे हैं।पर,एक दूसरे से प्रभावित होकर जरूर बदलेंगे।भविष्य में इनका एक ही लक्ष्य हैं कि हर इंसान प्रतिदिन संस्था के लिए अपना एक रुपया दान के रूप में दें।जिससे अधिक से अधिक जरूरतमंदों की मदद की जा सकें।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीति में कोई लगाव नहीं हैं।समाजसेवा और व्यवसाय कर एक खुशहाल परिवार से मेजर सिंह बहुत ही प्रसन्न हैं।
★छायाकार संतोष कुमार यादव
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Nice job major bhaiya hmm students ko bhi moka de apne sath sewa karne ka or iss group me youngster ko jurdne ka