दादी ने कहा- उसकी आत्मा आई थी घर और बताई ये बात, लोग पहुंच गए घाट पर।

*दादी ने कहा- उसकी आत्मा आई थी घर और बताई ये बात, लोग पहुंच गए घाट पर*
जमशेदपुर। यहां की खरकई नदी में रविवार को डूबे तीसरे क्लास के छात्र का अबतक पता नहीं चल सका है। नदी में परिजन और गोताखोर उसकी बॉडी की तलाश कर रहे हैं। इस बीच सोमवार को यहां एक अजीब वाकया हुआ। बच्चे की दादी ने परिजनों से कहा,”वो घर आया था। उसने अपनी मामी के शरीर में प्रवेश किया और बोला कि वह बड़ौदा घाट के पत्थरों के नीचे दबा हुआ है।’दादी के मुंह से यह सुनने के बाद घाट पर बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम पहुंच गया और उसकी खोजबीन शुरू कर दी। पर निराशा ही हाथ लगी।


-नदी में डूबने के बाद धीरज चौधरी के इकलौते बेटे आयुष कुमार का मंगलवार को भी कुछ सुराग नहीं मिल सका है। परिजन घाट से हटने को तैयार नहीं हैं।
-घर के सभी लोग नदी किनारे टकटकी लगाए बैठे हैं। घाट पर आने वाले लोगों से दादी हाथ जोड़कर गुहार लगाती रही-‘कोई तो मेरे पोते को नदी से निकाल दो।’
-सोमवार को आयुष के चाचा और बस्तीवासियों ने खरकई,सुवर्णरेखा से लेकर गालूडीह बराज तक खोजबीन की। छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई कर रहे सामाजिक संगठनों व आमजन से पूछताछ की गई।
-गालूडीह बराज के कर्मचारियों ने बस्तीवासियों को बताया-बड़ौदा घाट पर यदि कोई डूबता है तो यहां तक आने में तीन से चार दिन लगते हैं। बराज पर सोमवार तक कोई बच्चा नहीं देखा गया।
-इधर,आयुष के डूबने की सूचना पर रिश्तेदार बागबेड़ा में जुट गए हैं। घर में मातम पसरा हुआ है।पिता धीरज चौधरी,मां,बड़ी बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उनकी आंखें आयुष को तलाश रही हैं। मां और पिता बेसुध हो जा रहे हैं।
*दादी के बोलने पर परिजन पहुंचे*
-आयुष की तलाश में दादी मीना देवी समेत परिवार के सभी महिला-पुरुष बड़ौदा घाट पहुंचे थे। मीना देवी ने रोते हुए कहा-‘आयुष घर आया था। अपनी मामी के शरीर में प्रवेश किया था।
-बोला-वह बड़ौदा घाट के पत्थरों के नीचे दबा हुआ है। निकल नहीं पा रहा है। वहां से उसे निकाल लो। दादी के बोलने पर परिजन और आस पड़ोस के लोग पत्थर के टीले पर पहुंचकर खोजबीन शुरू कर देते हैं। लेकिन नदी की तेज धार के बीच खोजना मुश्किल रहा।

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