खुले आम हो रहा गौ तस्करी प्रशासन आँख में पट्टी लगा कर बैठ है।
*गोवंश तस्करी में बिहार से बंगाल तक आजाद का राज*
धनबाद : गोवंश तस्करी का बेताज बादशाह मो. आजाद है। वह कोलकाता से बेखौफ अपना कारोबार चला रहा है। गोवंश तस्करी के मामले में बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक मो. आजाद का राज चलता है। एनएच टू (नेशनल हाइवे टू) पर गाय से लदे ट्रकों को सुरक्षित बंगाल तक पहुंचाने के लिए संतोष, बबलू, राजा, खालिद सहित दर्जनों लोग मो. आजाद के लिए काम करते हैं। बिहार-झारखंड व बंगाल के बॉर्डर पर उसके कई लोग लोड ट्रकों को पार कराने के लिए सक्रिय रहते हैं।
उप्र निवासी कोलकाता में
बैठकर करता कारोबार
गो तस्करी का मुख्य सरगना मो. आजाद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहनेवाला है। पिछले कुछ सालों से उसने कोलकाता में अपना आशियाना बना रखा है। गो तस्करी से देखते ही देखते वह करोड़ों का मालिक बन बैठा। बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल की पुलिस पर उसकी मजबूत पकड़ है। एनएच टू के किनारे के अधिकांश थानों में उसकी सेटिंग-गेटिंग है। यहां के थानेदारों को वह कोलकाता से ही गोवंश लदे ट्रकों के नंबर एसएमएस के जरिए उपलब्ध करा देता है। ट्रक जैसे ही बिहार के बक्सर जिले के चौसा से निकलता है उसकी पूरी जानकारी मो. आजाद को हो जाती है। कौन से नंबर के ट्रक पर गोवंश लदा है, इसकी जानकारी उसके सहयोगी तुरंत दे देते हैं। इसके बाद मो. आजाद गाय लदे ट्रकों के नंबर की जानकारी एनएच टू के किनारे के थानेदारों को व स्थानीय गुर्गो को देता है। जानकारी फ्लैश होते ही स्थानीय गुर्गे गो वंश लदे कंटेनर व ट्रकों को पार कराने के लिए एनएच टू पर सक्रिय हो जाते हैं। अगर एनएच टू पर पुलिस का कोई वरीय अधिकारी दिख जाता है तो थानेदार स्वयं ही सूचना मो. आजाद व उसके सहयोगियों को दे देते हैं जिससे गाय लदे ट्रकों को जहां-तहां रोक दिया जाता है। जब साहब चले जाते हैं तो ट्रकों को सुरक्षित पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट तक पहुंचा दिया जाता है। वहां से सभी गोवंश को बांग्लादेश भेजा जाता है।
धंधे में पशु चिकित्सक भी साथ
गो तस्करी के इस धंधे में पुलिस के साथ ही पशु चिकित्सक की भी मिलीभगत बताई जाती है। आज स्थिति यह है कि एनएच टू से होकर बांग्लादेश तक ट्रकों से ले जानेवाली गायों की संख्या सैकड़ों में है। इसका करोड़ों में कारोबार हो रहा है। पैसे के बल पर मुख्य सरगना मो. आजाद सत्ताधारी दलों के नेताओं व प्रशासन के वरीय अधिकारियों को चुप रहने को विवश कर देता है।
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