90 साल बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार बड़े स्तर पर होगी आरएसएस की कॉन्फ्रेंस।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस मंगलवार से जम्मू में अपनी अहम कान्फ्रेंस करने जा रहा है। खास बात ये है कि 1925 में बना संघ जम्मू-कश्मीर में पहली बार इतने बड़े लेवल पर ये मीटिंग ऑर्गनाइज कर रहा है।
मीटिंग में शिरकत के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत और बाकी नेता शनिवार को ही जम्मू पहुंच चुके हैं। मीटिंग में खासतौर पर कश्मीर से जुड़े मामलों पर चर्चा होगी।
तीन दिन चलने वाली अखिल भारतीय प्रचारक मीटिंग आतंकियों और अलगाववादियों को संघ की तरफ से मैसेज देने की कोशिश है। इसमें देशभर के करीब 195 प्रचारक हिस्सा लेंगे। इसके अलावा संघ से जुड़े दूसरे ऑर्गनाइजेशंस के मेंबर्स भी भाग लेंगे।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इसमें घाटी में बढ़ते आतंकवाद, पत्थरबाजी, सिक्युरिटी फोर्सेस पर हमले और राज्य में पीडीपी-बीजेपी सरकार जैसे मामलों पर विचार किया जाएगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा सीनियर लीडर जैसे भैय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले और कृष्ण गोपाल शनिवार को ही जम्मू पहुंच चुके हैं। भागवत ने 15 से 17 जुलाई तक यहां कई ग्रुप्स से मीटिंग की।
संघ नेता बलराज मधोक ने 1940 में जम्मू में संघ की शाखा की स्थापना की थी। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि आजादी के बाद जब देश में रियासतों को भारत देश में मिलाने की कोशिश सरदार पटेल कर रहे थे तब कश्मीर के मामले में दिक्कत आ रही थी। दावा है कि इस वक्त मधोक ने कश्मीर के तब के राजा हरि सिंह से बातचीत कर उन्हें विलय के लिए तैयार किया था।
1948 में श्रीनगर के लाल चौक पर तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था। इसके करीब चालीस बाद बाद बीजेपी के तब के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने यहां फिर तिरंगा फहराया।
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