ड्यूटी 12 घंटे करनी पड़ती हैं पर ट्रैफिक जवानों को सुविधाओं की व्यवस्था नहीं
धनबाद।हर चौक चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस तैनात दिखाई देती हैं।लगभग 15-20 जगह धनबाद में ऐसे हैं।जहाँ ट्रैफिक जवान की ड्यूटी होती हैं।इन जगहों में से सिर्फ 4-5 जगहों में ही ट्रैफिक चेकपोस्ट बनाया गया हैं।पर,इन चेकपोस्ट की हालत इतनी खराब हैं कि जवान ठीक से खड़े भी नहीं रह सकते हैं।
बारिश आती हैं,तो पानी टपकता हैं।अंदर पानी भी घुस जाता हैं।चारों तरह खुला रहता हैं।न बैठने की सुविधा,न पानी,न बिजली न कोई अन्य सुविधा उपलब्ध होती हैं।सिर्फ ड्यूटी करना हैं।जान सुरक्षित हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हैं।ट्रैफिक जवान खुद ही इसके लिए बैनर छतरी और आस पास की दुकानों से टेबल का जुगाड़ कर कुछ व्यवस्था कर लेते है।पर कई व्यवस्था ऐसी हैं।जो उनके क्षमता से बाहर होता हैं।फिर भी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी किया करते हैं।
पहले 8 घण्टों की ड्यूटी किया करते थे।पर अब 12 घण्टों की ड्यूटी की वजह से न घर का काम कर सकते हैं और न ही अपने दैनिक कामों के लिए भी समय निकाल पाते हैं।अगर दो शिफ्ट में काम करना पड़े।तो वह सुविधाजनक होगा।समय भी मिलेगा और थोड़ा सा आराम भी मिल जाएगा।क्योंकि,भले ही ये ट्रैफिक जवान हैं।पर इंसान हैं।मशीन को भी बीच बीच मे रिपेयर की जरूरत होती हैं।फिर ये तो इंसान हैं।वैसे भी जब पहले 8 घण्टों की ड्यूटी होती थी।तब भी वही स्तिथि थी और अब 12 घण्टों की ड्यूटी करने पर भी यातायात की व्यवस्था वही हैं।
जवान की कमी बताकर दो शिफ्ट की ड्यूटी को टाल मटोल किया जाता रहा हैं।पर,ऐसा नहीं हैं।बरसात के दिनों में खड़े-खड़े पानी जूतों के अंदर चला जाता हैं।पैरों में सूजन आ जाती हैं।जो रेनकोट दिया जाता हैं।उससे भी चर्म रोग की समस्याएं होती हैं।इतना झेलकर भी ट्रैफिक जवान ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।मेस के नाम पर कुछ भी नहीं हैं।वो तो यही जवान अपने मिल के किया करते हैं।पर इतनी देर तक ड्यूटी करने के बाद मेस भी सुचारू रूप से चलाना सम्भव नहीं हो पाता हैं।
चेकपोस्ट की हालत ऐसी हैं कि ऊपर का छत टूट फुट गया हैं।चारों तरफ की जाली भी ठीक ठाक नहीं हैं।दरवाजे भी टूटे हुए हैं।यह नजारा हर बड़े अधिकारी को दिखाई देती हैं।पर न ही धनबाद नगर निगम सक्रियता दिखाती हैं और न ही पुलिस विभाग।ड्यूटी की तुलना अन्य शहरों से की जाती हैं।पर,सुविधाओं की तुलना अन्य शहरों से नहीं की जाती हैं।
हर चौक चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लाइट नहीं हैं।हाथों से संचालित ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था है ।पर अगर उसमें कुछ खराबी आ जाये या बैटरी खत्म हो जाये तो ट्रैफिक जवान खुद ही उसका निवारण किया करते हैं।समस्याओं को लेकर ट्रैफिक जवान अपने बड़े अधिकारियों से मिल भी चुके हैं।पर,सिर्फ आश्वासन मिलता हैं।कुछ ठोस कदम नहीं लिया जाता हैं।इन समस्याओं के बावजूद ट्रैफिक जवान जवान ड्यूटी करते हैं।यह उनका कर्तव्य कहिये या मजबूरी।पर,व्यवस्था दुरुस्त हो तो और भी अधिक फुर्ती से ये काम कर सकेंगे।
साथ ही ये अपने परिवार को भी थोड़ा समय दे सकेंगे।ट्रैफिक जवानों के लिए सुविधा और धनबाद की यातायात व्यवस्था दोनों के प्रति पुलिस विभाग या धनबाद नगर निगम को ध्यान देने की आवश्यकता हैं।क्योंकि,जब हम और आप भी इनकी जगह पर एक दिन ड्यूटी करेंगे।तो एहसास होगा।कितनी परेशानी होती हैं और जान का जोखिम भी हैं।इसके अलावे चलान की व्यवस्था हर चौक चौराहों पर जवानों के पास होनी चाहिए।ताकि ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।जैसे कई अन्य शहरों में ऐसी व्यवस्था हैं।ट्रैफिक जवानों की परेशानियाँ बहुत हैं और हालात शुरू से ही ऐसी ही हैं।कब बदलेंगी बस इसी उम्मीद में जवान दिन रात ड्यूटी किये जा रहें हैं।उम्मीद और ड्यूटी के अलावे ये लोग और कर भी क्या सकते हैं?नेशनल टुडे लाइव डॉट कॉम के जरिये एक बात या सुझाव जो समझे धनबाद नगर निगम और पुलिस विभाग तक पहुंचाने का प्रयास हैं।शायद धनबाद की यातायात व्यवस्था और ट्रैफिक जवानों की समस्याओं का निदान हो जायें।
-छायाकार संतोष कुमार यादव के साथ धनबाद से सरताज खान की रिपोर्ट।
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Kal greenview petrol pump k pas 24/7/17 ko yatayat thana dhanbad bhut hi jyada sankhya m do phiya waahno ko pkda gya bhut bhari aur manmani trike se jisse jitna ban paye paisa aintha gya maine v kal paisa police walo ko dia…traffic police walo ke pas bhut sara paisa jurmana k rup m h woh khud chahe toh apni badhaali dur kar skte h..