कचड़े पर फेंकी मिलती हैं बच्ची तो कहीं बेटी के लिए की जाती हैं दुआ।

झारखंड राज्य के बोकारो जिला के चास प्रखंड में जहाँ एक तरफ लोग बेटी के लिए दुआ करते हैं।वहीं उसी प्रखंड में बेटी को कूड़े की ढेर पर फेंक देते हैं.चास थाना इलाके के महावीर पुल के पास कूड़े के ढेर पर चार दिन की बच्ची मिली. एक व्यक्ति ने बच्ची को कूड़े के ढेर से उठाया और फिर स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को अस्पताल में भरती कराया गया.

इसी प्रखंड में एक गांव ऐसा भी है। जहां लोग बेटी के लिए प्रार्थनाएँ करते हैं. अगर किसी के घर में बेटी का जन्म होता हैं।तो सारा गांव जश्न मनाता है. बोकारो जिले के चास प्रखंड के दीवानगंज गांव में यह परंपरा सदियों से आज तक कायम है. इस गांव में बेटी का जन्म बहुत कम ही होता है. इसलिए गांव का लिंगानुपात भी बहुत कम हो गया है.
इस गांव में 1000 पुरुष पर 753 महिला हैं. वहीं, 1000 बेटों पर बेटियों की बात की जाये। तो यह संख्या महज 553 है. यानी आधे से थोड़ा सा ज्यादा हैं। यह भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता हैं. लिंगानुपात सुधारने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. बेटियों को पढ़ाने के लिए उन्हें कई तरह के प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं.
अाज बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं हैं. शिक्षा जगत से लेकर खेल जगत तक में बेटियां अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं. कॉरपोरेट कंपनियों से लेकर विज्ञान जगत तक में बेटियां सफलता के झंडे बुलंद कर रही हैं. देश में ऐसी बेटियों की भी कमी नहीं है। जिन्होंने बेटे-बहू द्वारा ठुकराये गये माता-पिता को सहारा दिया है.

फिर भी कुछ लोग हैं जो बेटियों को बोझ ही समझते हैं. इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है. दीवानगंज जैसे गांवों के लोगों को आगे आकर बेटियों को बचाने का संदेश देने की जरूरत है. यदि समाज के लोग बेटी बचाने का संकल्प लेंगे, तो फिर कोई बेटी कचड़े के ढेर के बीच नहीं मिलेगी.समाज मे सोच बदलने की जरूरत हैं।साथ ही दहेज प्रथा जैसे परंपरा को भी समाप्त करने की जरूरत हैं।

1,154 total views, 1 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *