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पटना: भारत में उच्च गुणवत्ता वाली मछलियां के अंडा फ्राय एवं फिंगर लिंग की उपलब्धता में कठिनाई होती थी स्वर्गीय हीरालाल चौधरी वरिष्ठ वैज्ञानिक सा खाद कृषि संगठन के लक्ष्य अविस्मरणीय अनुसंधान में योगदान को भारतीय मछुआरा समाज कभी भुला नहीं पाएगा। क्योंकि मत्स्य प्रजनन के माध्यम से देश ही नहीं विश्व के मछुआरा समाज में आर्थिक उन्नति का रास्ता खोल दिया। 10 जुलाई को विश्व मछुआरा दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। भारत के वैज्ञानिक स्वर्गीय हीरालाल चौधरी की देन है। उनके द्वारा मत्स्य अनुसंधान की दिशा में बढ़ाते हुए उन्होंने रेवा मछली का प्रेरित प्रजनन पहली बार एक्वेरियम में 10 जुलाई 1957 को किया था प्रेरित मत्स्य प्रजनन में मछली का उपयोग किया गया तत्पश्चात केतला रेहु एवं नैनी मछली का प्रेरित प्रजनन किया गया विश्व में पहली बार हुई थी। इसलिए इसको प्रथम नीली क्रांति कहा जाता है स्वर्गीय चौधरी को पूरे विश्व में प्रेरित प्रजनन का पिता भी कहा जाता है। भारत को इस अनुसंधान के वजह से विश्वस्य की के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त हुई उनके सम्मान में भारत सरकार ने 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछुआरा दिवस घोषित किया काफिर के द्वारा पहली बार वर्ष 2006 में मछुआरा दिवस का आयोजन किया गया का पेड के अनुरोध पर वर्ष 2007 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सह् मत्स्यमंत्री मंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा राज्यपाल के आदेश से मछुआरा दिवस मनाने का अधिसूचना राज्य सरकार ने अपने पत्रांक 2704 दिनांक 25 07 2007 द्वारा जारी किया गया तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष कॉर्पोरेट एवं राज्य सरकार के द्वारा भी समारोह आयोजित किया जाता है स्वर्गीय हीरालाल चौधरी वरिष्ठ वैज्ञानिक सरकार कृषि संगठन के अध्यक्ष थे और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से फ्री कोलकाता में कार्यरत थे उनका जन्म 21 नवंबर 1921 को सिलहट बंगाल वर्तमान बांग्लादेश में हुआ था उनकी मृत्यु 12 सितंबर 2014 को हुई उनके गुरू के0 आलीकुन्ही वरिष्ठ मत्स्य वैज्ञानिक थे। उनको राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।
नेशनल टुडे लाइव
जितेंद्र कुमार
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