जिस उम्र में पढ़ाई करनी चाहिए मजबूरी में उठानी पड़ी घर की ज़िम्मेदारी।
धनबाद।जब उम्र थी पढ़ने लिखने की।तब घर की ज़िम्मेदारी लेनी पड़ी।महज 8 साल की उम्र में माता पिता का स्वर्गवास हो गया।राहुल कुमार दास रिक्शा चलाने का काम किया करता हैं।इसकी उम्र 16 वर्ष हैं।पर दो बहन दिव्या और माधुरी की ज़िम्मेदारी ने इसे रिक्शा चालक बना दिया।गया बिहार में जन्म लिया।पिता श्यामदेव दास की मौत के बाद धनबाद चले आये।यहाँ चाचा के घर पर रहते हैं।राँगाटाँड़ 4 न. निवासी राहुल दिन भर में 200-250 रुपये कमा लेता हैं।जिसमें से रोजाना 40-50 रुपये रिक्शा मालिक को भाड़ा दे देता हैं।
10 साल की उम्र से लगातार 6 साल रिक्शा चलाते हुए हो गया हैं।5 साल तक गया में चलाए और 1 साल से धनबाद में रिक्शा चला रहा हैं।दिव्या की उम्र 5 साल की हैं और माधुरी की उम्र 8 साल की हैं।दोनों बहनों में माधुरी वर्तमान में सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं।वह तीसरी क्लास की छात्रा हैं।राहुल पढ़ा लिखा नहीं हैं।सुबह 8 बजे से रात 8-9 बजे तक रिक्शा चलाता हैं।भारत मे राहुल जैसे ही न जाने कितने लड़के हैं।जिन पर घर की ज़िम्मेदारी होती हैं।राहुल से ज़्यादा पूछने पर बड़े ही सरल शब्दों में जवाब देता हैं।ऐसे हौसले को नेशनल टुडे डॉट कॉम सलाम करता हैं।राहुल की मेहनत से इसके बहनों की ज़िंदगी सँवरे यही उम्मीद करते हैं।
-छायाकार संतोष कुमार यादव के साथ धनबाद से सरताज खान की रिपोर्ट।
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