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रांची : टैलेंट हो तो मुश्किलों में भी मंजिल मिल जाती है. कुछ यही साबित किया है, रांची के लेग स्पिनर पंकज यादव ने. कांके के रहनेवाले पंकज यादव के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पिता घरों में दूध बेच कर परिवार चलाते हैं. पर आर्थिक तंगी के बाद भी वह क्रिकेट खेलता रहा और अपनी मेहनत की बदौलत भारतीय अंडर-19 टीम में जगह बनायी. अपनी फिरकी गेंदबाजी से देश के बाकी खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए अपना मजबूत दावा चयनकर्ताओं के सामने रखा. कांके में रहनेवाले पंकज के कोच वाइएन झा ने बताया, पंकज बचपन से ही प्रतिभावान है।
इसके पिता चंद्रदेव यादव हर सुबह घर-घर घूम कर दूध बेचते हैं. माता मंजू देवी गृहिणी हैं. दो बहनों के एक भाई पंकज के घर का गुजारा मुश्किल से होता है. उन्होंने बताया, पंकज पर मेरी नजर पड़ी और मैं उसे क्रिकेट खेलने के लिए ले गया। मेहनत रंग लायी और पंकज ने लेग स्पिनर के रूप में अपनी शुरुआत की चयन की जानकारी मिलते ही पंकज ने अपने कोच और मेंटर युक्तिनाथ झा को मिठाई खिलायी खुद के सपनों को किया साकार : रांची जिला क्रिकेट लीग की बी डिवीजन की टीम बीएयू (बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी) ब्लास्टर्स से खेलनेवाले पंकज यादव पिछले दो साल से एनसीए कैंप के रेगुलर सदस्य हैं।
इस साल पहली बार उन्हें झारखंड अंडर 19 टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, जहां उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खिंचा. रांची की बी डिवीजन टीम से सीधे टीम इंडिया अंडर-19 टीम का सदस्य बनने का अवसर मिलना, किसी के लिए भी सपना हो सकता है, लेकिन पंकज ने इस सपने को साकार कर दिखाया है। इससे पहले उन्होंने चैलेंजर ट्रॉफी में खेलते हुए इंडिया ग्रीन की तरफ से तीन मैच में नौ विकेट हासिल किये थे। इसके अलावा अंडर-16 बी डिवीजन के एक सीजन में पंकज ने 42 विकेट लिये।

 

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