धनबाद में स्तिथ हैं 1890 में स्थापित माँ शीतला मन्दिर,आस्था एकता का प्रतीक।

युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।

धनबाद।नया बाजार वासेपुर में माँ शीतला मंदिर 1890 में स्थापित बहुत ही पुरानी काली मंदिर हैं।इस मंदिर की स्थापना स्व. सत्यनारायण पाण्डेय के द्वारा किया गया।यह मंदिर अंग्रेजों के समय से स्तिथ हैं।उस समय नया बाजार का सम्पूर्ण क्षेत्र पूरी तरह से जंगल में तब्दील था।जंगल में मंदिर होने की वजह से डाकू लोग पूजा के लिए आते थे।ऐसी मान्यता हैं कि डाकू लोग माँ काली के भक्त होते थे।वे लोग किसी देवी देवता की पूजा करें या न करें।पर,माँ काली की पूजा जरूर करते हैं।इस मंदिर की देख रेख वर्तमान में शम्भूनाथ पाण्डेय के द्वारा किया जाता हैं।जो स्व. सत्यनारायण पांडेय के ही वंशज हैं।उस समय इस क्षेत्र में घर बहुत कम हुआ करता था।कुछ गिने चुने लोग ही रहा करते थे।पर,आज यह पूरा क्षेत्र घनी आबादी से घिरा हुआ हैं।इस क्षेत्र में सभी धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं।उसका प्रमाण हैं,यह धार्मिक स्थल।

इस मंदिर में पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।धनबाद के हर क्षेत्र से लोग यहाँ आते हैं।कभी शादी के लिए तो कई अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं।जो भी लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामना माँगने आये हैं।उन सबो की इच्छा पूरी हुई हैं।इस मंदिर की सुरक्षा और व्यवस्था में आस-पास के सभी लोगों का सहयोग रहा हैं।
मन्दिर के संस्थापक और उनकी पीढ़ी सत्तू के व्यापार में शुरू से ही हैं।उन्होंने अपने खर्चे से ही इस मंदिर का निर्माण किया।वर्तमान में भी मंदिर संस्थापक की पीढ़ी सत्तू का ही व्यापार करते हैं।यह मंदिर एकता और आस्था का प्रतीक हैं।इतनी घनी आबादी वाले क्षेत्र में यह छोटा सा मन्दिर आज भी अपने अस्तित्व में हैं।

रिपोर्टर:-सरताज खान

★छायाकार:-संतोष कुमार यादव

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