पीएम द्वारा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण किए जाने पर एक लेखक ने लिखी एक सच्चाई क्लिक करें और जाने ये सच्चाई।

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रिपोर्ट:गुलाम

 

धनबाद:देश के प्रधानमंत्री ऐसे समय में स्टेचू ऑफ यूनिटी के रूप में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा जो 182 मीटर के करीब 3000 करोड़ की लागत से बनी इस मूर्ति का अनावरण किए, जब देश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा, भुखमरी और गंगा प्रदूषण से लेकर नक्सली हमले तक जारी हैं। क्या यह सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों का भारत है? सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की मैगजीन ‘डाउन टू अर्थ’ का मूल्यांकन यह कहता है कि गंगा नदी 2020 तक मुक्त नहीं हो सकती। साथ ही, कल की बात है कि दंतेवाड़ा दूरदर्शन टीम पर नक्सलियों ने हमला कर दिया साथ ही कैमरामैन की हत्या कर दी गई और 2 जवान शहीद भी हो गए। साथ ही, झारखंड के चतरा में एक पत्रकार की अपहरण के बाद पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। वे उग्रवादियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर बड़ी बेबाकी से लिख रहे थे। शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत दुनिया से बहुत पीछे है। विकसित देशों की बराबरी करने में करीब सवा सौ साल लग जाएंगे जैसा कि आज की परिस्थिति है। यह दावा एसोचैम ने अपनी एक रिपोर्ट में किया था। यूएन के अनुसार जीडीपी का 6% खर्च शिक्षा पर होना चाहिए, जबकि हमारे देश में जीडीपी का 3.83% ही खर्च होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में तेज प्रगति की है, लेकिन शिक्षा के स्तर की मौजूदा खाई तब तक भरती नहीं दिखती, क्योंकि विकसित देशों ने शिक्षा पर किए जा रहे खर्च की रफ्तार में कोई कमी नहीं की है। देश में 14 लाख शिक्षकों की कमी है। देश में 130 करोड़ पचास लाख छात्र हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं अगर भारत शिक्षा पर बजट बढ़ाता,तो वह दुनिया में प्रतिभा का बड़ा स्रोत बन सकता था। यहां पर 4.7 प्रतिशत कामगार प्रशिक्षित हैं, जबकि जापान में 80% दक्षिण कोरिया 95% ब्रिटेन में 68% अमेरिका में 52% है। प्रधानमंत्री के द्वारा अपने चुनावी वादों पर ही ध्यान फोकस करने का काम करते हैं तो इन सारी समस्याओं से आज तक जूझना नहीं पड़ता। यह कैसी राजनीति की विडंबना है कि ‘लौह पुरुष’ तो याद किए जा रहे हैं, लेकिन इसी दिन ‘लौह महिला’ की पुण्यतिथि है, उन पर एक शब्द भी नहीं कहा जा रहा है।

 

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