बिहार में जेडीयू-भाजपा की सरकार नीतीश सीएम और सुशील होंगे डिप्टी सीएम।
पटना।बिहार में बड़ा राजनीतिक धमाका करते हुए बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में बीजेपी ने नई सरकार बनाने के लिए जेडीयू को समर्थन देने का ऐलान किया। जिसके बाद जेडेयू-बीजेपी ने आधी रात राज्यपाल केसी त्रिपाठी से मुलाकात कर 132 विधायकों की सूची सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
आज सुबह 10 बजे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और भाजपा के सुशील मोदी उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। नई सरकार के बाकी मंत्री बहुमत परीक्षण के बाद शपथ लेंगे। इससे पहले खबर थी कि वे शाम को पांच बजे शपथ लेंगे। नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी भी शामिल हो सकते हैं।
इससे पहले राजग सरकार बनाने के सिलसिले में भाजपा विधायक नीतीश के निवास पर गए जहां नीतीश को बतौर मुख्यमंत्री और सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का फैसला किया गया। भाजपा ने नीतीश को नई सरकार के गठन में समर्थन देने संबंधी पत्र देर रात राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को सौंप दिया। सरकार में भाजपा भी शामिल होगी और मंत्रिमंडल में जदयू और राजग के 13-13 मंत्री शामिल होंगे।
इससे पहले अपने इस्तीफे का ठीकरा राजद नेता लालू यादव पर फोड़ते हुए नीतीश ने कहा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मुद्दे पर लालू कुछ करना नहीं चाहते थे। तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर महागठबंधन में लंबे समय से खींचतान चल रही थी।
बुधवार देर रात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद तिवारी और वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने राजभवन जाकर पार्टी विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। बाद में मोदी ने पत्रकारों को बताया कि भाजपा विधायकों ने नीतीश के निवास स्थान एक अणे मार्ग पर जाकर उनसे मुलाकात की जहां नीतीश ने नए गठबंधन के विधायकों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया था। इसके बाद जदयू और राजग घटक दलों के विधायकों ने दोबारा राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल से मुलाकात में देर हो गई क्योंकि महामहिम राज्यपाल अस्वस्थता के कारण चेकअप कराने आईजीआईएमएस हॉस्पिटल गए हुए थे। पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन पर जारी सियासी घमासान के बीच इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा कि हमने 20 महीने के दौरान गठबंधन धर्म का पालन किया और अच्छा काम करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘बेनामी संपत्ति मामले में घिरे तेजस्वी से मैंने सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई मांगी थी। मैंने किसी का इस्तीफा भी नहीं मांगा था। मौजूदा हालात में महागठबंधन की सरकार चलाना मुश्किल हो गया था। मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और बिहार के हित में इस्तीफा दे दिया।’ उल्लेखनीय है कि राज्यपाल से मिलने जाने से पहले नीतीश ने जदयू विधायकों के साथ बैठक के बाद यह फैसला किया।
नीतीश के इस्तीफे के बाद गठबंधन सरकार पर मंडराते सुनिश्चित खतरे से बौखलाए लालू प्रसाद ने कहा कि यह मामला पहले से तय था। नीतीश ने कोई इस्तीफा नहीं मांगा था बल्कि सफाई मांगी थी और हमने सफाई भी दी थी। नीतीश ने सब जानते हुए हमसे हाथ मिलाया। नीतीश संघमुक्त भारत बनाने का प्रण लिया था। लेकिन अब नीतीश और मोदी में सेटिंग हो गई है। नीतीश पर 1991 से हत्या और आर्म्स एक्ट का केस है और यह भ्रष्टाचार से भी बड़ा मामला है। उन्हें फांसी की सजा भी हो सकती है।
इससे पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था। राजद विधायक दल की बैठक में लालू ने कहा कि नीतीश ने कभी तेजस्वी को इस्तीफे के लिए नहीं कहा है। वे (जदयू के प्रवक्ताओं के बारे में) पुलिस नहीं हैं कि हमें उन्हें जवाब देना चाहिए। पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और वरिष्ठ पार्टी नेता जगदानंद सिंह की मौजूदगी में लालू ने कहा, ‘जब कभी जरूरत पड़ेगी तो मैं खुद और तेजस्वी जवाब देंगे।’
राजनीतिक संकट के लिए भाजपा को दोषी ठहराते हुए लालू ने कहा, ‘भाजपा नीतीश कुमार के साथ गठजोड़ करने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। मैं सब कुछ देख रहा हूं। हमने कई सारी मुश्किलों के बावजूद महागठबंधन बनाया और नीतीश कुमार को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन यदि कोई इस गठबंधन का बोझ उठाने को तैयार नहीं है तो वह जानें। गठबंधन तोड़ने में राजद की कोई भूमिका नहीं है।’
पीएम ने बधाई देकर कर दिया था इशारा
नीतीश के इस्तीफे पर पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिये बधाई देकर पहले ही इशारा कर दिया था कि भाजपा उनके साथ है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के साथ जुड़ने के लिए बधाई। देश की सवा सौ करोड़ जनता उनकी ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रही है। दे
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