बेटी ने झुठलाया जिला प्रशासन को, प्रशासन पहले जाग जाता तो बच जाता बैद्यनाथ।

बेटी ने सुनाई दास्तां, प्रशासन पहले जाग जाता तो बच जाता बैद्यनाथ।


झरिया।अभाव और बीमारी से दम तोड़ने वाले झरिया के बैद्यनाथ रविदास की बेटी सुमन कुमारी ने सोमवार को दर्द की अंतहीन दास्तां बयां की। उसने जिला प्रशासन के दावे को झुठला दिया और कहा कि उसके पिता की मौत भूख की वजह से हुई है। सुमन ने कहा आज जिस तरह से प्रशासन सक्रिय हुआ है, अगर पहले जाग जाता और राशन कार्ड बन गया होता तो 35-40 किलो अनाज में माड़-भात खाकर रह लेते। उसके पिता की मौत नहीं होती।
मृतक की पुत्री सुमन कुमारी (16) ने कहा कि पिता की मौत बीमारी से नहीं बल्कि भूख से हुई है। सोमवार को झरिया के राजबाड़ी स्थित शहरी स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती मां के साथ पुत्री ने यह खुलासा किया। उसने कहा कि पापा बीमार नहीं थे। भूख के कारण तीन-चार महीने से पैर में झिनझिनी हो गई थी। इसके कारण रिक्शा नहीं चला पा रहे थे। उसके बाद घर की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई। पूरा परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया। उसने अपने घर की माली हालत को रांची से पहुंची राइट टू फूड अभियान की टीम के समक्ष भी बयां किया। कहा कि एक सप्ताह से घर में चूल्हा नहीं जला था। उसके बाद पिता की भूख मर गई थी।
सुमन ने बताया कि घर में कोई कमाऊ सदस्य नहीं है। चौका बर्तन से मां पार्वती देवी को तीन-चार सौ रुपया मिल जाता है। जहां चौका-बर्तन करती है, वहां से कभीकभार मांग कर खाना लाती थी। वही खाना खाकर सभी भाई-बहन सो जाते थे। कभी खाना बनता था तो कभी खाना नहीं बनता था। उसने बताया कि सात सदस्य घर में थे। आधा किलो चावल किसी तरह से पकता था। उसी में खाना होता था। भाई और छोटी बहन जब स्कूल खुला रहता है तो वहीं खा लेते हैं। शाम को यूं ही सो जाते हैं। बड़ा भाई रवि 18 साल का है। वह काम के लिए नानी के यहां गया था मगर काम नहीं कर रहा था। मौत की खबर होने पर नानी के साथ गया से आया है। बताया कि रिक्शा भी भाड़ा पर लेकर चलाते थे। उसका भी 240 रुपया बकाया है। हमारी हालत देखकर रिक्शा मालिक पैसा नहीं मांगता है।

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