भारत के 130 करोड़ लोग पैदल दौड़ जाएँगे तो पाकिस्तान रौंदा जाएगा मोदी पाकिस्तान का डर दिखाकर वोट माँगना बन्द करें:- शिवानंद तिवारी क्लिक करें और जाने।

 NTL NEWS .CON:7909029958 .SANTOSH YADAV

NTL/पटना:- आज 29 अप्रेल 2019 को राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री शिवानंद तिवारी के वॉल से लिया गया ब्लॉग, उन्होंने साफ शब्दों में वर्तमान हुकूमत पर निशाना साधते हुए लिखा है कि क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान की आबादी लगभग 17 करोड़ है। जबकि हमारे देश की आबादी 130 करोड़ है ! 130 करोड़ लोग पैदल दौड़ जाएँगे तो पाकिस्तान रौंदा जाएगा।
क्या आपको पता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं। इन चारों युद्ध में पाकिस्तान , पराजित हुआ है. पाकिस्तान की सबसे बड़ी पराजय 1971 के युद्ध में हुई थी। ऊस युद्ध के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान टूटकर दो देश बन गया था। पूर्वी पाकिस्तान, पाकिस्तान से अलग निकलकर बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। उस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों ने भारतीय फ़ौज के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। दुनिया के युद्ध के इतिहास में इतने सैनिकों का एक साथ आत्मसमर्पण की यह एक अनोखी घटना थी। उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। संपूर्ण देश अपने सैनिकों के इस एतिहासिक उपलब्धि से अभिभूत हो गया था। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने तो भावावेश में इंदिरा जी ‘दुर्गा’ हैं,कह दिया था।
आज उसी देश को नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो पाकिस्तान का भय दिखाकर देशवासियों को डरा रहा है। देश को डरपोक और कायर बना रहा है। इनकी सरकार कितनी लायक और सक्षम है उसका नज़ीर तो अभी लंका में आतंकवादियों के आत्मघाती बम विस्फोट की घटना के साथ तुलना कर समझा जा सकता है। बम विस्फोट की इस घटना ने लंका में भयानक तबाही मचाई। लेकिन इस घटना की तैयारी से लेकर अंजाम देने तक, कैसे क्या हुआ इसका पता वहाँ की सरकार ने लगा कर सार्वजनिक कर दिया है। लेकिन हमारे देश में पुलवामा की घटना को लगभग ढाई महीने हो गए। उक्त घटना में हमारे चालीस जवानों की नृशंस ढंग से हत्या कर दी गई थी। लेकिन आज तक यह पता नहीं लग पाया है कि उस घटना को अंजाम देने में उस नौजवान को सहयोग देने वाले कौन लोग थे। यह स्पष्ट है कि वह अकेले का काम नहीं था। कई लोगों के सहयोग के बगैर वैसी घटना को अंजाम देना मुमकिन ही नहीं था। इसके बाद भी अगर कोई यकीन करता है कि यह लायक सरकार है और इस सरकार के हाथों में हमारा मुल्क सुरक्षित रहेगा तो वैसे अंधभक्तों से हमें कुछ नहीं कहना है।
पुलवामा के बाद पाकिस्तान को सबक़ सिखाने के मकसद से हवाई सेना द्वारा बालाकोट में बम गिराया गया। दावा किया गया था कि इस बमबारी में ढाई-तीन सौ लोग मारे गए। मारे गए लोगों में आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने वाले भी शामिल हैं, ऐसा भी बताया गया था इस तरह की ख़बरें उस समय मिडिया में ख़ूब लिखी और सुनाई जा रहीं थीं। अब जाकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आधिकारिक रूप से स्पष्ट किया है कि उस हमले में पाकिस्तान में जानमाल की किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई थी।
लेकिन इस चुनाव में बम पटकने की इसी घटना को वीरता, शौर्य और पराक्रम का ‘न भूतो ,न भविष्यति’ बता कर वोट माँगा जा रहा है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार अगर दुबारा नहीं बनी तो पाकिस्तान भारतवर्ष को निगल जाएगा ! सत्रह करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान, अगर मोदी सत्ता में नहीं रहें तो , एक सौ तीस करोड़ वाले हमारे देश का मिट्टी पलीद कर देगा ! आर. एस. एस. और भाजपा जैसे संगठनों का पुराना तरीक़ा है। देश के सामने एक नक़ली ख़तरा खड़ा करते हैं। फिर उस ख़तरे को गंभीर बताने का अभियान चलाते हैं। और अंत में कहते हैं कि हम ही वीर हैं !सच्चे राष्ट्रभक्त. हम 56” की सीना वाले हैं। हम आपकी और देश की इस ख़तरा से रक्षा करेंगे। हमारे हाथ में सत्ता सौंप दीजिए।
इस भय को और प्रत्यक्ष बनाने के लिए वे पाकिस्तान के साथ अपने देश के मुसलमानो को खड़ा करने का अभियान चलाते हैं। इनका नारा होता है ‘हम पाँच और उनके पचीस’, ‘एक मियाँ चार बीबी और चालीस बच्चे’. गुजरात में मोदी जी कहते थे-‘अहमद मियाँ पटेल’, ‘मियाँ मुशर्रफ’. इन नारों के जरिए इन्होने अपनी छवि ‘हिंदू हृदय सम्राट’ की बनाई। हमारे मुल्क में हिंदू सौ में अस्सी हैं और मुसलमान सौ में चौदह-पंद्रह. डरना चाहिए अस्सी से पंद्रह को लेकिन ये उल्टी धारा चलाते हैं। हिंदू समाज के मन में एक नक़ली डर पैदा करते हैं। इस प्रकार पहले हिंदू समाज को डरपोक और कायर बनाते हैं। उसके बाद कहते हैं कि हमको सत्ता दो, नहीं तो ये मुसलमान और पाकिस्तान तुमको निगल जाएँगे। जबकि हमारा संविधान और विधान धर्म के आधार पर घृणा और नफ़रत फैलाना तो दूर, भेदभाव को भी दण्डनीय अपराध मानता है।
सबसे दुखद स्थिति हमारे देश के मध्य वर्ग की है। किसी भी समाज का अगुआ उसका मध्य वर्ग होता है. पढ़ालिखा, समाज को आगे बढ़ाने वाला, लेकिन हमारे यहाँ का मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा तो इन घृणा और नफ़रत फैलाने वालों की चाकरी में लगा हुआ है। इनके हर झूठ और पाप का बचाव करने में लगा हुआ है। इसकी एक ही वजह है, हमारी जाति व्यवस्था वाले समाज में मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा ऊँची जातियों को लेकर बना है। लोकतंत्र ने, वोट के राज ने, जाति व्यवस्था वाले हमारे समाज पर से ऊंची जातियों के पुराने वर्चस्व के बहुत कमजोर कर दिया है। इसकी पीड़ा इनको बराबर सताता रहता है, इस स्थिति के लिए लोकतंत्र को ही मुख्य दोषी मानते हैं। इसलिए मोदी सरकार के लोकतांत्रिक संस्थाओं को निर्रथक बनाने के अभियान का समर्थन करते हुए धड़ से वे कहते हैं कि काँग्रेस ने भी तो ऐसा किया था ! इससे कौन इंकार करेगा कि काँग्रेस ने ग़लतियाँ नहीं की हैं। बल्कि काँग्रेस सहित अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली तमाम पार्टियों की ग़लतियों का परिणाम है मोदी सरकार। इंदिरा जी ने देश में आपात काल लगाया, लेकिन इंदिरा जी और काँग्रेस की बुनियाद लोकतंत्र है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए इमरजेंसी लगाकर उन्होने ग़लती की थी। लेकिन फिर उन्होने ही चुनाव करवाया, चुनाव कराने के लिए कोई जन दबाव उस समय हमलोग नहीं बना पाए थे। लेकिन संघ और भाजपा का यक़ीन न तो भारतीय संविधान में है और ना हीं लोकतंत्र में है। मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा समाज में अपना पुराना स्थान पाने के लिए लोकतंत्र के ख़ात्मे के अभियान में उनका सहयोग कर रहा है।
तब लोकतंत्र को इस संकट से बचाएगा कौन ? इसकी बहुत बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण जवाबदेही पिछड़ी जातियों, दलित तथा आदिवासी समाज और महिलाओं पर है। लोकतंत्र ने उन्हें इंसान का दर्जा दिया है, हालाँकि अभी सफ़र लंबा है। लेकिन लोकतंत्र ही उस लंबे सफ़र के लिए रास्ता देता है। इस चुनाव के जरिए यही तय होनेवाला है कि लोकतंत्र ने वंचित समाज के लिए जो रास्ता खोला है वह खुला रहेगा या बंद होगा।

 

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री शिवानंद तिवारी (राजद)
National Today Live

865 total views, 1 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *