भारत के राष्ट्रपति को कब कितने मत मिले और कौन हुआ विजयी विस्तार से जानिए।
राष्ट्रपति चुनाव में 3.34 लाख मतों से जीते रामनाथ कोविंद,कौन से राष्ट्रपति को कितने मिले थे वोट पूरी जानकारी को विस्तार से पढ़े।
राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भारत के चौदहवें राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 367314 वोट वैल्यू के मुकाबले 702044 वोट वैल्यू हासिल कर मात दी। कोविंद को 66 फीसदी वोट मिले। वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 34 फीसदी वोट मिले।इससे पहले हुए 13 राष्ट्रपति चुनावों में पड़े कुल वोटों का लेखा-जोखा…जानिए किस राष्ट्रपति उम्मीदवार को कितने मिले थे वोट।
1. 26 जनवरी, 1950 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बिना किसी चुनाव के देश के पहले राष्ट्रपति बने. लेकिन उसके बाद उन्हें वॉकओवर नहीं मिला। भारत के पहला राष्ट्रपति चुनाव साल 1952 में हुआ था। जिसमें केटी शाह का मुकाबला डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से था। इस चुनाव में केटी शाह को 92,827 और राजेंद्र प्रसाद को 5,07,400 मत मिले थे।
2.भारत का दूसरा राष्ट्रपति चुनाव साल 1962 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और चौधरी हरि राम के बीच हुआ था। जिसमें चौधरी हरि राम के 6,341 मतों के मुकाबले डॉक्टर राधाकृष्णन को 5, 53,067 मत मिले थे।
3.1967 में डॉक्टर जाकिर हुसैन भारत के पूर्व चीफ जस्टिस कोका सुब्बाराव को हराकर देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने थे। मात्र दो साल बाद पद पर रहते हुए ही डॉ. हुसैन की मौत हो गई थी।
4.साल 1969 में हुआ चौथा राष्ट्रपति चुनाव अब तक का सबसे दिलचस्प और करीबी राष्ट्रपति चुनाव रहा। उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ वीवी गिरि को उतार दिया और अंतरात्मा की आवाज के आधार पर वोट करने की अपील की। वीवी गिरि बेहद मामूली अंतर से चुनाव जीते।
5.अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर देश में इमरजेंसी की घोषणा करने वाले फखरुद्दीन अली अहमद को 1974 में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर बिठाया था। उन्हें विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर त्रिदीप चौधरी ने चुनौती दी थी।
6.इंदिरा गांधी की वजह से 1969 में राष्ट्रपति बनने का मौका गंवाने वाले नीलम संजीवा रेड्डी को 1977 में जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। रेड्डी देश के एकमात्र राष्ट्रपति हैं, जो बिना किसी विरोध के चुने गए।
7. इंदिरा गांधी ने 1982 के राष्ट्रपति चुनाव में ज्ञानी जैल सिंह को उतारा। टक्कर में थे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश एचआर खन्ना।
8. राजीव गांधी ने 1984 का लोकसभा चुनाव 404 सीटों के प्रचंड बहुमत से जीता था। राजीव गांधी ने आर वेंकटरमण को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, विपक्ष ने पूर्व न्यायधीश वीआर कृष्ण अय्यर को उनके खिलाफ उतारा।
9.नेहरू-गांधी परिवार के वफादार रहे शंकर दयाल शर्मा ने 1992 का राष्ट्रपति चुनाव पूर्व सांसद और निर्दलीय उम्मीदवार जॉर्ज गिल्बर्ट स्वेल को हराकर जीता था। दिलचस्प बात ये है कि अपने कार्यकाल के आखिरी साल में शर्मा ने तीन प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलवाई थी।
10.इंद्र कुमार गुजराल केंद्र में अल्पमत की सरकार चला रहे थे। कांग्रेस पार्टी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति केआर नारायणन को मैदान में उतारा। पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने नारायणन के खिलाफ ताल ठोंकी, लेकिन बुरी तरह हार गये।
11.साल 2002 के राष्ट्रपति चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को एनडीए का उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने भी डॉ. कलाम का समर्थन किया। लेफ्ट पार्टियों ने स्वतंत्रता सेनानी और इंडियन नेशनल आर्मी में कमांडर रहीं लक्ष्मी सहगल को कलाम के खिलाफ उतारा था।
12.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिभा पाटिल को मैदान में उतारा और देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनवा दिया। उपराष्ट्रपति भैंरो सिंह शेखावत ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पाटिल के खिलाफ पर्चा भरा, लेकिन बीजेपी के समर्थन के बावजूद खासे अंतर से हार गए।
13.2012 के राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी को भारी समर्थन के बावजूद बीजेपी समर्थित पीए संगमा से मुकाबला लड़ना पड़ा। हालांकि विपक्ष तब भी एकजुट नहीं रह पाया था और जेडीयू, शिवसेना ने गठबंधन की लाइन तोड़कर प्रणब का समर्थन किया था।
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