भारतीय वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास बनाया दुनिया का सबसे शक्तिशाली ड्रोन।
नई दिल्ली(नेशनल टुडे लाइव). भारत के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे शक्तिशाली ड्रोन बनाकर यह साबित कर दिया कि भारतीय वैज्ञानिक किसी भी तरह से दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कम नहीं हैं।इस कारण भारतीय वैज्ञानिक दुनिया को यह बताने में सफल रहें हैं कि वो भी कुछ कर गुजरने का दम-खम रखते हैं।
अभी हाल ही की बात हैं कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने देश भारत में ही दुनिया का सबसे शक्तिशाली ड्रोन बनाया है।यह ड्रोन किसी भी प्रकार की तुलना में अमेरिका की सबसे खतरनाक ड्रोन प्रेडियेटर से कम नहीं है।प्रेडियेटर को विश्व का सबसे खतरनाक लड़ाकू ड्रोन कहा जाता है।
पिछले ही वर्ष डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने देश के सबसे बड़े मानव रहित लड़ाकू ड्रोन रुस्तम-2 का परीक्षण सफलता पूर्वक पूरा किया। डीआरडीओ के द्वारा बनाए गए इस ड्रोन का परीक्षण कर्नाटक के बंगलौर से 250 किलोमीटर दूरी पर चित्रदुर्गा में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया था।जहाँ मानवरहित यानों और मानवविमानों का परीक्षण किया जाता हैं।
रुस्तम-2 की खास बात यह हैं कि यह मध्य ऊंचाई पर लंबी अवधि तक उड़ान भरने में सक्षम मानवरहित विमान है। दो टन के वजन वाले इस ड्रोन की कई खास बातें हैं। इसके पंख की अगर बात करें तो यह लगभग 21 मीटर लंबे हैं। यह 24 घंटे उड़ान भरने में सक्षम है ही साथ ही देश के सशस्त्र बलों के लिए भी टोही मिशन का काम करने में सक्षम है। यह टोही व निगरानी क्षमता के अलावे भी लक्ष्य पर सटीक मार करने में भी सक्षम है और इसकी रेंज करीब 250 किलोमीटर है।
सिंथेटिक अपर्चर राडार होने की वजह से यह बादलों के पार भी देख सकता है। साथ ही 30 हजार फीट की ऊंचाई पर भी आसानी से उड़ान भर सकता है। यह 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता हैं। साथ ही दुश्मन की नजर से भी बचा रहता हैं। इसकी सबसे खास बात हैं कि यह मानवरहित यान अमरीका के प्रिडेटर ड्रोन के तरह ही मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में उपयोग किया जा सकता है। रुस्तम-2 का डिजाइन और विकास डीआरडीओ की बेंगलुरु की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट और एचएएल-बीईएल के द्वारा मिलकर किया गया हैं। डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा इसका परीक्षण किया गया।सशस्त्र बलों के पायलटों का भी सहयोग सहयोग रहा।इस सफलता से हर भारतीय को गर्व हैं।देश गौरान्वित महसूस कर रहा हैं।ऐसे ही भारतीय वैज्ञानिक सफलता की ओर अग्रसर रहें।फिर तो भारत का तिरंगा सबसे ऊपर लहराएगा।
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