राजनीति में राजनीति करने नहीं आया बल्कि शहर और समाज को बदलने आया हूँ-वैभव।
-युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)
धनबाद।वैभव सिन्हा दिखने में जितने ज़्यादा सरल हैं।उतना ही उनकी छवि समाज में लोकप्रिय हैं।उनका व्यक्तित्व ऐसा हैं कि जिसे देख आज का हर युवा उन्ही की तरह बनने की और उनके नक्शे कदम पर चलने का प्रयास करते हैं।राजनीति में इनका आना देर से जरूर हुआ हैं।पर,राजनीति के लिए ये कोई नए नहीं हैं।राजनीति इनकी विरासत हैं।इनके पिता स्व. राजनीति सिन्हा और दादा स्व. बीपी सिन्हा के नाम ही काफी हैं,यह जानने के लिए कि राजनीति में इनका क्या स्थान हैं?इनके परिवार से कोई न कोई समाज और राजनीति में जनता के लिए हमेशा से ही सक्रिय रहे हैं।वैसे तो राजनीति इन्हें विरासत में ही मिली हैं।पर,जनता के बीच अपनी पहचान और लोकप्रियता इन्होंने खुद बनाई हैं।क्योंकि, कोई भी दिन इनका ऐसा नहीं रहा हैं।जब ये जनता के लिए जनता के बीच न गए हो।हर दिन सुबह से शाम तक जनता के लिए,जनता के हित में सदैव प्रयासरत ही रहें हैं और हमेशा कुछ न कुछ करते ही रहते हैं।परिवार से भी ज़्यादा समय ये जनता को देते हैं।
पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद लगभग 2 से 3 सालों तक बड़ी बड़ी कंपनियों में उच्च पद पर काम करते रहें।पर कहते हैं कि रक्त में जो काम करने की आप बने हो आपको वही एक दिन आना हैं।दादा जी तत्कालीन बिहार झारखण्ड के लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे हैं।इनकी लोकप्रियता मजदूर मसीहा के रूप में खास रूप में होती हैं।क्योंकि,जनता की सेवा में इनके दादा जी सदैव सक्रिय रहें हैं।इनकी माता डॉ उर्मिला सिन्हा भी काँग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष से लेकर महामंत्री रह चुकी हैं।नगर निगम का पहला चुनाव भी 2010 में लड़ चुकी हैं।जिसमें विजय नहीं हुई।पर पाँचवे पोजीशन पर जगह जरूर बनाई।
वैभव ने जब शिक्षा समाप्त की और बिज़नेस में भी जब कुछ खास नहीं हो पाया।नौकरी भी मन को न भाया।तो राजनीति में जन सेवा की भावना से जुड़ गए।शुरुआत में झारखंड में काँग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष नियुक्त किये गए।फिर पार्टी के लगाव को देखते हुए।धनबाद नगर अध्यक्ष बनाये गए।मजदूर के हक़ के लिए भी इनकी सक्रियता रही हैं।इंटक(INTUC) के जिला अध्यक्ष और झारखंड श्रमिक संघ के केंद्रीय महासचिव भी हैं।इनकी सोच और विचारधारा बहुत सकारात्मक हैं।इनका मानना हैं कि सब समय का चक्र हैं और नेता कार्यकर्ता से ही बनता हैं।जनता के लिए जैसे-जैसे इनकी सक्रियता बढ़ रही हैं।ठीक वैसे-वैसे जनता की भी प्रतिक्रिया बहुत ही सकारात्मक रही हैं।दादा जी की हत्या के 30 साल बाद माता चुनाव में आई।तो,जनता का भरपूर समर्थन मिला।जनता का साथ हमेशा से ही मिलता रहा हैं।इनका कहना हैं कि मेरे जैसे हर युवा का एक सपना हैं।एक मुकाम पर पहुँचना हैं।
धनबाद शहर और समाज के लिए एक सपना देखा की एक ऐसे समाज की कल्पना करनी हैं।जहाँ हर तरह की सुविधा उपलब्ध हैं।क्योंकि वैभव का कहना हैं कि मैं राजनीति करने नहीं आया हूँ।समाज को बदलने आया हूँ।राजनीति में चुनाव केवल एक हिस्सा हैं।यह कोई अंतिम पड़ाव नहीं हैं।उन्होंने कहा बहुत कुछ हुआ हैं।पर,अभी बहुत कुछ करना हैं।
घर परिवार से हर एक सदस्य का सहयोग हमेशा रहा हैं।समय नही दे पाते हैं।पर कुछ पाने की तलाश में निकलते हैं।तो कुछ खो ही जाता हैं।जनता के लिए समय देते ही हैं और पार्टी में रहकर एक सशक्त विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे हैं।भले ही परिस्तिथि कोई भी हैं।पर जज्बे और हौसले में कोई कमी नहीं हैं।किसी भी सरकार और जनप्रतिनिधि के लिए कार्यकाल एक किराए के मकान जैसा हैं।क्योंकि,5 साल बाद जनता जवाब माँगेगी और फिर वोट का फैसला करेगी।
अभी की सरकार में मौजूद जनप्रतिनिधियों पर भी कई सवाल खड़े किए।उन्होंने साफ-साफ कहा कि वर्तमान सरकार सिर्फ बड़े-बड़े वादों के साथ जनता को भ्रमित करने का काम कर रही हैं।हर चीज को देशभक्ति को जोड़कर जनता को भड़काने का प्रयास कर रही हैं।बोलने से क्या कश्मीर मुद्दे हल हो गए।पत्थर बाजी रुक गयी।लोग घर से बेघर हो गए।लोकतंत्र की परिभाषा बहुत ही बड़ा हैं।भाजपा को सिर्फ 31% ने वोट किया था।बाकी ने दिया ही नहीं।इससे पता चलता हैं कि भले ही सरकार भाजपा की हो।पर साफ पता चल रहा है कि जनता सहमत नहीं हैं।
धनबाद में कार्यों की मौजूदा हालात को लेकर भी अपनी बात चीत में उन्होंने कहा कि धनबाद के सांसद और विधायक जो भी प्रत्याशी ने जीत हासिल की।उनकी सोच में यह आ गया हैं कि वे जनता के लिए नहीं,निजी तौर पर हैं।पर ऐसे समस्या दूर नहीं होगी।इच्छा शक्ति जागृत करनी होगी।अगर ऐसा न होता तो धनबाद में जो होना चाहिए था।वह सारी योजना अन्य जिलों में चली जा रही हैं।कमी को देखकर ज़मीनी स्तर पर काम करने की जरूरत हैं ।उद्घाटन कार्यक्रम का सिर्फ़ जायजा लेने से कुछ नहीं होने वाला हैं।
हर व्यक्ति का आदर्श बड़े होने के साथ-साथ बदलता ही जाता हैं।वैभव सिन्हा अपना आदर्श अपने दादा जी को मानते हैं।उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राष्ट्रीयकरण तक विपरीत परिस्तिथि में काम किया।उन्ही से हरदम सीखते हैं।युवा वर्ग से बस कुछ ही बात कहना चाहते हैं कि राजनीति में बदलाव इस के साथ आकर ही किया जा सकता हैं।सिर्फ़ आरोप प्रत्यारोप करने से कुछ नहीं होगा।समाज मे बदलाव के लिए सड़क पर आना होगा।इंटरव्यू की समाप्ति पर उन्होंने जेपी नारायण की कुछ पंक्तियों को कहा कि जब सड़के सुनसान हो जाती हैं,तो संसद आवारा हो जाती हैं।
● छायाकार संतोष कुमार यादव के साथ धनबाद से सरताज खान की रिपोर्ट।
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Baibhav sinha isa good leader in dhanbad zila.
2019 mai dhanbad se Baibhav sinha ji he vidhayak bannenge.koi rok nhi sakta
Congress ke jaan hai Baibhav sinha ji
Baibhav sinha jindabad
Baibhav sinha jindabad
Hvi tak hm apse mile to nhi hai par sune hai apke bare me or jis trah se janta ki baat samne aa rhi hai apke kaamo ko dekh kr jiska ek bht hi sundar udharan hai jo ki hm btlana chahe gy mujhe y pta nhi tha pr hamarey padosiyo se ek din bato bato me hi ye sunney ko mila the ARKA tvi is charchy se hme ye laga ki Dhanbad m jiski jarurat thi o ab puri hoti najar aa rhi hai….. hme lgta hai 2019 me apko us audhye pr jarur baithya jye ga ku ki janta v yhi chahti hai ki hmarey Coal capital Dhanbad ko ek nya roop mile….
Hvi tak hm apse mile to nhi hai par sune hai apke bare me or jis trah se janta ki baat samne aa rhi hai apke kaamo ko dekh kr jiska ek bht hi sundar udharan hai jo ki hm btlana chahe gy mujhe y pta nhi tha pr hamarey padosiyo se ek din bato bato me hi ye sunney ko mila the ARKA tvi is charchy se hme ye laga ki Dhanbad m jiski jarurat thi o ab puri hoti najar aa rhi hai….. hme lgta hai 2019 me apko us audhye pr jarur baithya jye ga ku ki janta v yhi chahti hai ki hmarey Coal capital Dhanbad ko ek nya roop mile….
Beta Ho to aisa
Mai ke Sada abhari hu jo Mai ap K Karen Korea international khel ska Sir aur use game K Karen Mai world championship m kolifai kr shakuna Sir