होमियोपैथिक में भी कैंसर का इलाज क्लिक करें और जाने।
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धनबाद. होमियोपैथिक में भी कैंसर, डायबिटीज, रक्तचाप जैसी बीमारी का इलाज संभव है. इसके लिए मरीज को होमियोपैथिक दवा लेने के साथ ही उन्हें अपने जीवन शैली और खानपान में बदलाव लाने की जरूरत है. उक्त बांते डॉ0 देब ओम बनर्जी ने रविवार को यहाँ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर कही. डॉ0 देब होमियोपैथिक चिकित्सक सह रिसर्च फैलो (होमियोपैथिक) भी है. उन्होंने बताया कि समाज में कई ऐसी भ्रांतियां भी है जिसमे यह भी कहा जाता है कि होमियोपैथिक पद्धति में इलाज काफी धीमी गति से होता है जो केवल मिथ्या है. उन्होंने कहा उनके पास किडनी के कई ऐसे मरीज भी आये जिनकी किडनी में काफी दर्द था. होमियोपैथिक दवा पंद्रह मिनट में दर्द से राहत दिलाता है. उन्होंने बताया मरीज अपने जीवन शैली तथा खानपान में बदलाव लाये तो होमियोपैथिक दवा अपना काम तेजी से करता है. इसके ट्रीटमेंट से कैंसर, डायबिटीज, बीपी जैसे गम्भीर बीमारियों का इलाज सौ प्रतिशत मुमकिन है. उन्होंने कहा होमियोपैथिक दवा अंग्रेजी दवाओं के दुष्प्रभाव से भी बचाता है. अंग्रेजी दवाओं के सेवन में बीमारी ठीक नहीं होती बल्कि मरीज की आयु को घटा देता है. मरीज में एक बीमारी के बाद दूसरी बीमारी जन्म लेने लगता है. एलोपैथिक में अगर कोई डायबिटीज का मरीज दवा ले रहा है तो कुछ समय बाद उसमे बीपी की शिकायत होने लग जाती है. हर साल डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे है. दवा खाने के बाद भी डायबिटीज खत्म नहीं होता और मरीज बीपी की दवा खाने लग जाता है. उन्होंने कहा 1940 से पहले की स्थिति बेहतर थी. उस समय डायबिटीज, बीपी की बीमारी नहीं पनपती थी. आज के बदलते दौर में लोगो का लाइफ स्टाइल, खानपान का तरीका बदलने से इस बीमारी में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कुछ मामलो में एलोपैथिक की दवा जरुरी भी है पर एक मरीज को बीमारी के लक्षण शुरवाती दौर में नजर आ जाते है तो उन्हें तभी से होमियोपैथिक का उपचार शुरू कर देना चाहिए. प्राथमिक स्टेज पर इलाज प्रारम्भ होने पर बीमारी को पूर्ण रूप से खत्म की जा सकती है. डॉ0 देब ओम ने बताया कि वे दिल्ली के अलावे लंदन में अपनी सेवा देते आये है और अब प्रत्येक महीने के दस से बारह दिन धनबाद में भी सेवा देंगे. उन्होंने एक रिसर्च के आधार पर बताया कि दवा आज दुनिया में मौत की तीसरी वजह बन चुकी है. मौत की वजह में यह आज तीसरे नम्बर पर है।
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